रणथम्भौर में बेकाबू ट्यूरिज्म और बाघ के हमले ने उठाए गंभीर सवाल

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में हाल ही में एक दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया, जब एक बाघिन ने एक छह साल के बच्चे को उसकी दादी के सामने उठा लिया और जंगल में ले गई। यह घटना त्रिनेत्र गणेश मंदिर दर्शन के बाद लौटते समय हुई। बच्चे का शव जंगल में मिला, जिससे पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। इस घटना ने न सिर्फ जनमानस को झकझोरा, बल्कि रणथम्भौर की ट्यूरिज्म पॉलिसी और प्रबंधन प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों और पूर्व वन अधिकारियों ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।

बाघिन से ज्यादा गाड़ियां: पर्यटन बेकाबू

वन्यजीव संरक्षण के विशेषज्ञ और वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन के पूर्व डायरेक्टर डॉ. एमके रंजीत सिंह का कहना है कि “मैंने देशभर के टाइगर रिजर्व देखे हैं, लेकिन रणथम्भौर में दो ट्रिप में ही जानवरों से ज्यादा गाड़ियां नजर आईं। यह टू-मच फेमिलियरिटी का नतीजा है। बाघ अब पालतू कुत्तों जैसे हो गए हैं। इस स्थिति को तत्काल नियंत्रण में लाना चाहिए।” उन्होंने सरकार से अपील की है कि नेशनल पार्क को “भगवान का मंदिर” मानते हुए इसकी पवित्रता और सीमाओं की रक्षा करें।

बढ़ती आबादी, घटती जगह

पूर्व वन्यजीव निदेशक विनोद माथुर का कहना है कि बाघों को अपने क्षेत्र की रक्षा करनी होती है, और जब इंसान उस क्षेत्र में हस्तक्षेप करता है, तो वे हिंसक हो सकते हैं। “बाघ को 40-50 किमी का इलाका चाहिए होता है, लेकिन अब वे जगह के अभाव में इंसानी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं।” उन्होंने वन विभाग से मॉनिटरिंग बढ़ाने और स्थानीय लोगों को समय रहते सतर्क करने की सिफारिश की।

सीटीएच (क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट) पर उठे सवाल

रणथम्भौर बाघ परियोजना के पूर्व सीसीएफ वाइके साहू ने बताया कि सरकार ने कोर और बफर जोन को खत्म करके पूरे क्षेत्र को CTH घोषित कर दिया, जिसमें यहां तक कि हैलीपैड भी शामिल है। “पहले लोग गणेश मंदिर तक पैदल आते-जाते थे, अब हर जगह गाड़ियां दौड़ रही हैं। यह जंगल की आत्मा को नष्ट कर रहा है।”

स्थानीय आवाजें भी उठा रहीं चेतावनी

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता हरिप्रसाद योगी ने कहा कि होटल और ट्यूरिज्म के बढ़ते दबाव ने जंगल की शांति छीन ली है। “बाघ बहुत शर्मीले जीव हैं, जब उन्हें बार-बार डिस्टर्ब किया जाता है तो वे आक्रामक हो जाते हैं।”

वन विभाग की प्रतिक्रिया

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ अनूप के आर ने बताया कि “टाइगर के हमले अधिकतर पैदल लोगों पर हुए हैं, न कि गाड़ियों पर। हम प्रशासन के साथ मिलकर पैदल रास्तों के विकल्प तलाश रहे हैं। वन विभाग मॉनिटरिंग करता है, लेकिन जानवर का मूवमेंट पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता।”

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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