कूटनीतिक हलचल के संकेत: अमेरिका क्रीमिया पर रूस के नियंत्रण को मान्यता देने को तैयार?

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी हलचल मचाने वाली खबर सामने आई है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका रूस और यूक्रेन के बीच संभावित शांति समझौते के तहत क्रीमिया पर रूस के नियंत्रण को मान्यता देने पर विचार कर सकता है। यह खबर ऐसे वक्त में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप युद्ध को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों से बातचीत की कोशिशों में लगे हुए हैं।

क्रीमिया: एक पुराना घाव

2014 में रूस ने क्रीमिया पर हमला कर वहां एक जनमत संग्रह कराया था, जिसके जरिए उसने क्रीमिया को अपने साथ मिला लिया। हालांकि अमेरिका और अधिकांश पश्चिमी देशों ने इस विलय को अवैध करार दिया और इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ बताया। नियमों के मुताबिक बलपूर्वक किसी क्षेत्र पर कब्जा अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। यदि अमेरिका क्रीमिया पर रूस के नियंत्रण को स्वीकारता है, तो यह दशकों पुराने पश्चिमी दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव होगा।

रिपोर्ट का दावा: ट्रंप प्रशासन बातचीत की रफ्तार से नाखुश

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो शांति वार्ता की धीमी गति से नाराज हैं। शुक्रवार को उन्होंने संकेत दिया कि अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो अमेरिका इस प्रक्रिया से हट सकता है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रेस को बताया,

“जितना ज्यादा समय लगेगा, उतना ही हमारी भागीदारी को सही ठहराना मुश्किल होगा। अगर प्रक्रिया में देरी होती रही, तो अमेरिका पीछे हट जाएगा।”

यूक्रेन की तीखी प्रतिक्रिया

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने इस संभावित प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यूक्रेन कभी भी अपनी जमीन — जिसमें क्रीमिया भी शामिल है — रूस को नहीं देगा। कीव में दिए बयान में उन्होंने अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ पर रूस समर्थक बयानबाज़ी का आरोप लगाया। “यूक्रेनी ज़मीन पर कोई समझौता नहीं हो सकता। युद्धविराम से पहले हम अपनी सीमाओं पर कोई चर्चा नहीं करेंगे।”

पर्दे के पीछे की कूटनीति

हाल ही में पेरिस में एक अहम बैठक हुई, जिसमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और यूक्रेन के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में एक ऐसे प्रस्ताव पर चर्चा हुई जो युद्धविराम की ओर बढ़ने का रास्ता साफ कर सकता है। इस योजना के तहत:

  • मौजूदा लड़ाइयों को रोकने के प्रयास किए जाएंगे,

  • रूस पर लगे प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम करने का विकल्प रखा गया है,

  • और यूक्रेन की नाटो सदस्यता की इच्छा को बातचीत से बाहर रखा जाएगा — जो रूस की एक प्रमुख मांग रही है।

रूस का रुख: विरोधाभास जारी

हालांकि पश्चिमी देश शांति की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन रूस ने यूक्रेन पर अपने सैन्य अभियान में नरमी नहीं दिखाई है। क्रेमलिन ने हाल ही में 30 दिनों का युद्धविराम खत्म कर दिया और फिर से यूक्रेन के ऊर्जा ढांचे पर हमले शुरू कर दिए हैं। पिछले सप्ताह सुमी में एक रूसी मिसाइल हमले में 35 लोगों की मौत हो गई थी। कीव का मानना है कि बातचीत तभी आगे बढ़ सकती है जब रूस भी हमले बंद करने के लिए राजी हो।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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