राजस्थान में पंचायतीराज चुनावों के बाद अब नगरीय निकायों के चुनावों में हो रही देरी पर भी हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। मंगलवार को न्यायाधीश श्रीचंद्रशेखर और न्यायाधीश आनंद शर्मा की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब तलब किया।
पूर्व विधायक संयम लोढ़ा द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 55 शहरी निकायों में चुनाव न कराते हुए वहां प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 243 और राजस्थान नगरपालिका अधिनियम-2009 का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि नवम्बर 2024 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद चुनाव न कराना और प्रशासक नियुक्त करना सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि प्राकृतिक आपदा को छोड़ किसी अन्य परिस्थिति में चुनावों को टाला नहीं जा सकता।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पहले 50 हजार रुपये की अमानत राशि जमा करवाने का निर्देश दिया था, जिसके पालन के बाद इस याचिका पर औपचारिक सुनवाई शुरू की गई। अब कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव, स्वायत्त शासन विभाग के सचिव और निदेशक, राज्य निर्वाचन आयोग व आयुक्त से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। राज्य की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार निकाय चुनाव कराने के लिए तैयार है और इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
गौरतलब है कि इससे पहले प्रदेश की 6759 ग्राम पंचायतों में पूर्व सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर भी हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। इन मामलों में संवैधानिक प्रावधानों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के पालन को लेकर राज्य सरकार की नीतियों पर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं।
