राजस्थान के अलवर जिले के सिलीसेढ़ क्षेत्र में ज़हरीली शराब पीने से अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। बीते पांच दिनों में मौतों की लगातार बढ़ती संख्या ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है। इस दर्दनाक घटना ने प्रशासन और आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासन की देरी पर उठे सवाल
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सिलीसेढ़ और उसके आसपास के गांवों में पिछले एक सप्ताह से लोगों की तबीयत बिगड़ने की खबरें आ रही थीं। लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जब तक मौतों की संख्या सात तक नहीं पहुंच गई, तब तक न तो पुलिस और न ही आबकारी विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई की। अब हरकत में आए प्रशासन ने क्षेत्र में कई अवैध शराब के ठिकानों पर ताले लगाए हैं, लेकिन मुख्य आरोपी अब तक फरार हैं।
मृतकों की पहचान और घटनाक्रम
मृतकों की पहचान पैंतपुर और किशनपुर गांव के निवासियों के रूप में हुई है, जिनकी उम्र 39 से 65 वर्ष के बीच है। जहरीली शराब के कारण पहली मौत 26 अप्रैल को पैंतपुर के सुरेश वाल्मीकि (45) की हुई थी। इसके बाद 27 अप्रैल को दो और लोगों—किशनपुर के रामकिशोर (47) और पैंतपुर के रामकुमार (39)—की मौत हो गई। सबसे अधिक मौतें 28 अप्रैल को दर्ज की गईं, जिनमें किशनपुर के लालाराम (60), भारत (40) और पैंतपुर के ओमी (65) शामिल हैं।
जांच और संभावित मिलीभगत
प्रशासन की ओर से जारी एक अनौपचारिक सूची में सात मृतकों के नाम शामिल हैं, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। शवों का पोस्टमॉर्टम जारी है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। उनका आरोप है कि अवैध शराब का कारोबार प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। जब तक मौतें नहीं हुईं, कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
अवैध शराब के खिलाफ सख्त कदम की मांग
घटना के बाद इलाके में आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और अवैध शराब के कारोबार पर स्थायी रोक लगे। साथ ही प्रशासनिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।
इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि राजस्थान के कई ग्रामीण इलाकों में अवैध शराब का जाल अब भी गहराई से फैला हुआ है, और जब तक प्रशासनिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई जाती, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। क्या आप चाहते हैं कि इस खबर को एक विशेष मीडिया प्लेटफॉर्म या अखबार की शैली में संपादित करूं?
