मध्य प्रदेश के सीहोर से आने वाले प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में चल रही शिव महापुराण कथा के दौरान मिश्रा ने लड़कियों की नाभि की तुलना तुलसी की जड़ से कर दी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
क्या कहा प्रदीप मिश्रा ने?
प्रदीप मिश्रा ने कथा के दौरान कहा, “जिस तरह से तुलसी की जड़ बाहर दिखने पर सूख जाती है, उसी तरह लड़कियों की नाभि उनकी जड़ है। यह जितनी ढकी रहेगी, उतनी ही उनकी सुरक्षा बनी रहेगी।” उन्होंने आगे कहा कि लड़कियों के पहनावे की वजह से समाज में अपराध बढ़ रहे हैं और यह समस्या न तो पुलिस रोक सकती है और न सरकार, बल्कि संस्कार ही इसका समाधान हैं।
सोशल मीडिया पर उठे तीखे सवाल
मिश्रा के इस बयान पर ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर यूजर्स की तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक यूजर ने लिखा, “अब कथावाचक भी नाभि पर प्रवचन देने लगे हैं, क्या यही धर्म की मर्यादा है?” दूसरे ने लिखा, “कथा के नाम पर लड़कियों के शरीर पर टिप्पणी करना कहां तक उचित है?” हालांकि मिश्रा के समर्थक उनका बचाव करते हुए कह रहे हैं कि उनका उद्देश्य समाज को संस्कारों की ओर ले जाना है।
भीड़ से पंडाल भरा, घर से कथा सुनने की अपील
विद्याधर नगर स्टेडियम में चल रही कथा में भारी भीड़ उमड़ रही है। आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि 7 मई तक कथा घर पर ही ऑनलाइन माध्यम से सुनें ताकि पंडाल में अनहोनी की आशंका से बचा जा सके। प्रदीप मिश्रा ने यह भी कहा कि आधुनिक समय में बच्चों की उम्र का फर्क मिट गया है। उन्होंने कहा, “अब केवल बचपन और बुढ़ापा रह गया है। मोबाइल ने बच्चों को समय से पहले जवान बना दिया है।”
निष्कर्ष
धार्मिक मंचों पर दिए गए बयानों की संवेदनशीलता को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। समाज में बढ़ते अपराधों के लिए पहनावे को जिम्मेदार ठहराने की सोच पर सवाल उठ रहे हैं। यह प्रकरण धार्मिक वक्ताओं की भूमिका और ज़िम्मेदारी को लेकर नई चर्चा को जन्म दे रहा है। क्या आपको लगता है कि धार्मिक मंचों पर ऐसे बयान उचित हैं?
