जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इसी तनावपूर्ण माहौल के बीच AIMIM के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शोएब जमई का एक बयान जबरदस्त विवाद का विषय बन गया है। उन्होंने कहा, “भारत के मुसलमानों को 15 मिनट के लिए सत्ता दे दो, हम दिखा देंगे पाकिस्तान को कैसे नेस्तनाबूद किया जाता है।”
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ा तनाव
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 28 निर्दोष नागरिकों की जान गई, जिसके जवाब में भारत ने 6-7 मई की रात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। ऑपरेशन सिंदूर के तहत स्पाइस-2000, हैमर और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों का इस्तेमाल कर 9 ठिकानों को तबाह किया गया और 90 से अधिक आतंकवादी मारे गए। हालांकि पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को “अनुचित और गैरकानूनी” बताते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शोर मचाया है और भ्रामक प्रचार शुरू कर दिया है, जिससे माहौल और भी गरमा गया है।
शोएब जमई का बयान और राजनीतिक भूचाल
इस पृष्ठभूमि में शोएब जमई का यह बयान न सिर्फ सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई। उन्होंने न केवल पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया, बल्कि यह भी कहा, “भारत के मुसलमानों ने हमेशा देश की एकता और तरक्की में योगदान दिया है, और देश की सुरक्षा के लिए भी हम पीछे नहीं हैं।” हालांकि, उनके “15 मिनट की सत्ता” वाले बयान को विपक्षी दलों और सोशल मीडिया यूजर्स ने भड़काऊ और गैर-जिम्मेदाराना बताया। कई लोगों ने इसे communal angle देने की कोशिश बताते हुए उनकी आलोचना की है।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं
इससे पहले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सेना की कार्रवाई का स्वागत करते हुए “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाए और कहा, “पाकिस्तानी डीप स्टेट को सबक सिखाना जरूरी है ताकि फिर कभी पहलगाम जैसी घटना न हो।” दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी पाकिस्तान द्वारा पुंछ के गुरुद्वारे पर मिसाइल दागने की घटना की निंदा करते हुए कहा, “यह पाकिस्तानी सेना की नीच मानसिकता को दर्शाता है।”
निष्कर्ष
जहां एक ओर भारत सरकार और आम जनता आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं, वहीं शोएब जमई जैसे बयानों ने राजनीतिक ध्रुवीकरण को जन्म दे दिया है। भारत-पाक तनाव के इस संवेदनशील दौर में नेताओं के शब्द और जिम्मेदारी पहले से कहीं अधिक मायने रखते हैं।
