भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद राजस्थान में सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ा कदम उठाया है। सीमा पार से संभावित हमलों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के बॉर्डर जिलों में रात का ब्लैकआउट लागू किया गया है। यह फैसला बीती रात पाकिस्तान द्वारा राजस्थान के तीन स्थानों पर हमले की नाकाम कोशिश के बाद लिया गया है।
बाड़मेर-जैसलमेर में दूसरी रात भी अंधेरा
पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर और जैसलमेर जिले पूरी तरह अंधेरे में डूब गए हैं। रात 9 बजे से सुबह 4 बजे तक पूर्ण ब्लैकआउट किया गया है।
जैसलमेर के अतिरिक्त जिला कलक्टर परसाराम सैनी ने लोगों से अपील की है कि वे घर की सभी लाइटें बंद रखें, खिड़कियों को पर्दों से ढकें और बिल्कुल भी बाहर न निकलें। बाड़मेर की जिला कलक्टर टीना डाबी ने भी लोगों से शांति और सहयोग बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने बताया कि यह दूसरी रात है जब बाड़मेर में सुरक्षा कारणों से ब्लैकआउट किया जा रहा है।
जोधपुर और फलोदी में भी कड़ी निगरानी
जोधपुर में भी ब्लैकआउट की घोषणा की गई है। जिला कलक्टर गौरव अग्रवाल ने जानकारी दी कि रात 12:30 बजे से सुबह 4 बजे तक जोधपुर शहर में बिजली गुल रहेगी। उन्होंने कहा, “पैनिक की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि प्रिपेयर रहने की जरूरत है। प्रशासन द्वारा तय किए गए सायरन प्रोटोकॉल और ब्लैकआउट निर्देशों का पालन करें।” फलोदी और बीकानेर के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी यही समय सीमा लागू की गई है। प्रशासन ने लोगों से घरों में रहकर सुरक्षा निर्देशों का पालन करने को कहा है।
स्कूल, कॉलेज और पेट्रोल पंप भी प्रभावित
राज्य सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि स्कूल और कॉलेज अगली सूचना तक बंद रहेंगे। वहीं पेट्रोल पंप संचालकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि ब्लैकआउट के दौरान सभी लाइटें बंद रखें और आपातकालीन प्रोटोकॉल का पालन करें।
सुरक्षा कारणों से लिया गया ऐतिहासिक निर्णय
राजस्थान प्रशासन का यह निर्णय पाकिस्तान की ओर से संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में रात के समय हवाई हमलों या ड्रोन एक्टिविटी को लेकर चौकसी बढ़ा दी गई है।
निष्कर्ष: सीमावर्ती जिलों में किया गया यह ब्लैकआउट फैसला लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है। प्रशासन ने जनता से संयम और सहयोग की अपील की है ताकि किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। क्या आप जानना चाहेंगे कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्या है और इससे क्या रणनीतिक बदलाव आए हैं?
