खाद्य सुरक्षा योजना के तहत आने वाले अंत्योदय, बीपीएल और अन्नपूर्णा कार्डधारकों को पिछले चार वर्षों से रियायती दर पर चीनी नहीं मिल रही है। ये कार्डधारक पहले हर महीने ₹24.50 प्रति किलो की दर से लेवी चीनी प्राप्त करते थे, लेकिन 2021 में हुए कथित भ्रष्टाचार के बाद से वितरण व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ी है। जयपुर जिले में ऐसे 90,000 से अधिक कार्डधारक हैं जो अब बाजार से महंगी चीनी खरीदने को मजबूर हैं। राशन डीलर्स से जब लाभार्थी चीनी की मांग करते हैं, तो उन्हें केवल एक जवाब मिलता है—”जब आएगी, तब देंगे।”
भ्रष्टाचार की मार, थालियों से गायब हुई मिठास
विभागीय सूत्रों के अनुसार, 2021 में करीब 70 हजार मीट्रिक टन चीनी की खरीद हुई, लेकिन वितरण न होने के कारण यह चीनी गोदामों में सड़ गई। बताया जा रहा है कि खराब हो चुकी चीनी को हाल ही में चुपचाप नीलाम भी कर दिया गया। गड़बड़ी को छिपाने के लिए कुछ अधिकारियों ने पोस मशीनों में फर्जी एंट्री कर दी, ताकि वितरण दिखाया जा सके। इस मामले की जांच भी शुरू हुई थी, लेकिन अब वह ठंडे बस्ते में पड़ी है।
राज्यभर में लाखों प्रभावित
राज्य में कुल 22 लाख से ज्यादा ऐसे लाभार्थी हैं:
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बीपीएल कार्डधारक: 78 हजार (जयपुर)
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अंत्योदय: 13 हजार
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अन्नपूर्णा: 200
कमी नहीं, अनियोजन की वजह से हुआ नुकसान
खाद्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, कुछ अफसरों ने चीनी आपूर्तिकर्ताओं से मिलीभगत कर दो वर्षों की जरूरत से ज्यादा चीनी एक साथ खरीद ली। आश्चर्य की बात ये है कि अधिकतर चीनी डीलरों तक पहुंची ही नहीं और सहकारी समितियों व खाद्य निगम के गोदामों में ही खराब हो गई।
जनता की मांग: फिर से शुरू हो रियायती चीनी वितरण
लाभार्थियों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि चीनी वितरण व्यवस्था को पारदर्शी बनाते हुए दोबारा शुरू किया जाए। अगर राशन की दुकानों पर रियायती दर की चीनी उपलब्ध होगी तो न सिर्फ लाभार्थियों को राहत मिलेगी, बल्कि डीलर्स को भी आर्थिक संबल मिलेगा।
