भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में दिखा अमेरिकी विमान, परमाणु ठिकानों को लेकर अटकलें तेज

भारत के बहुचर्चित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी और सैन्य ठिकानों पर किए गए सटीक हवाई हमलों के बाद जहां पाकिस्तान बौखलाया, वहीं अमेरिका की सक्रियता ने इस मामले को और अधिक पेचीदा बना दिया है। हाल ही में पाकिस्तान की सीमा में एक अमेरिकी विमान देखे जाने के बाद कई तरह की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है।


ऑपरेशन सिंदूर: भारत की निर्णायक कार्रवाई

10 मई को भारत ने पाकिस्तान की ओर से हो रहे आतंकी हमलों के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत कई एयरबेस और आतंकी शिविरों पर हवाई हमले किए। इनमें रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस और सरगोधा का मुशाफ एयरबेस प्रमुख थे। यह दोनों स्थान पाकिस्तान के परमाणु कमांड और स्टोरेज से जुड़े माने जाते हैं, जिससे इस हमले के रणनीतिक महत्व को नकारा नहीं जा सकता। भारत का दावा है कि इस ऑपरेशन में न केवल कई आतंकियों को मार गिराया गया, बल्कि किसी भी नागरिक को नुकसान नहीं हुआ। वहीं पाकिस्तान की तरफ से जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में किए गए जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमलों को भारतीय वायुसेना ने नाकाम कर दिया।


सीज़फायर के बाद भी सतर्कता

हालांकि अमेरिका की मध्यस्थता के बाद दोनों देशों ने सीज़फायर की घोषणा की है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। पाकिस्तान की ओर से अब भी छोटे स्तर पर संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं हो रही हैं।


पाकिस्तान में अमेरिकी विमान की मौजूदगी से हड़कंप

सबसे चौंकाने वाला घटनाक्रम तब सामने आया जब पाकिस्तान में अमेरिकी ऊर्जा विभाग का B350 AMS विमान देखा गया। यह विमान आमतौर पर परमाणु आपातकालीन सहायता के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सोशल मीडिया और रणनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस विमान की मौजूदगी यह संकेत देती है कि अमेरिका को पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत द्वारा किराना हिल्स क्षेत्र में मिसाइल हमला करना केवल एक सैन्य कदम नहीं, बल्कि पाकिस्तान के परमाणु बुनियादी ढांचे को लेकर एक कड़ा संदेश भी था — कि भारत की मिसाइल रेंज में अब वह सभी स्थान आ चुके हैं जो अब तक ‘अछूते’ माने जाते थे।


अमेरिका की भूमिका पर उठ रहे सवाल

सवाल यह भी उठ रहे हैं कि अमेरिका ने अचानक इतनी सक्रिय भूमिका क्यों अपनाई? क्या अमेरिका को पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर भारत के हमलों के बाद नियंत्रण और सुरक्षा की चिंता सताने लगी है? या फिर यह अमेरिकी दबाव का संकेत है जिससे दोनों देशों को किसी बड़े युद्ध से रोका जा सके?


निष्कर्ष: आगे क्या?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारत की सैन्य क्षमता और रणनीतिक स्पष्टता को वैश्विक मंच पर एक बार फिर स्थापित किया है। पाकिस्तान और अमेरिका की घबराहट इस बात का प्रमाण है कि यह कार्रवाई केवल एक जवाबी हमला नहीं, बल्कि एक भविष्य की रणनीति का संकेत भी है। अब देखना होगा कि भारत की इस आक्रामक नीति के आगे पाकिस्तान और अमेरिका की अगली चाल क्या होगी।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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