भारतीय सेना के शौर्य, बलिदान और सम्मान को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से कांग्रेस पार्टी देशभर में ‘जय हिंद सभाएं’ आयोजित करने जा रही है। यह राष्ट्रव्यापी अभियान 24 मई से 31 मई तक देश के 16 प्रमुख शहरों में चलेगा। इसके जरिए कांग्रेस न केवल भारतीय सेना को सम्मानित करना चाहती है, बल्कि हालिया सुरक्षा चूक और आतंकवादी घटनाओं पर सरकार से जवाबदेही की भी मांग करेगी। इस विशेष मुहिम के तहत कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं को देशभर में सभाओं की जिम्मेदारी सौंपी है, जिनमें राजस्थान से चार प्रमुख नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिली है।
राजस्थान के नेताओं को दी गई जिम्मेदारियां:
-
अशोक गहलोत – दिल्ली में सभा को करेंगे संबोधित
-
सचिन पायलट – चंडीगढ़ में सभाओं का करेंगे नेतृत्व
-
हरीश चौधरी – गुवाहाटी में संभालेंगे मोर्चा
-
भंवर जितेंद्र सिंह – हल्द्वानी में निभाएंगे जिम्मेदारी
अन्य शहरों में ये नेता संभालेंगे कमान:
-
बाड़मेर – रणदीप सुरजेवाला
-
बेंगलुरु – केसी वेणुगोपाल
-
शिमला – अजय माकन
-
जबलपुर – भूपेश बघेल
-
मुजफ्फरपुर – गौरव गोगोई
-
पुणे – पवन खेड़ा
-
भुवनेश्वर – दीपेंद्र हुड्डा
-
पठानकोट – कन्हैया कुमार
-
गोवा – कर्नल रोहित चौधरी
-
कोचीन – अनुमा आचार्या
पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उठाया कदम
कांग्रेस का कहना है कि यह पहल हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि में शुरू की गई है। पार्टी का मत है कि सैनिकों की शहादत का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए, लेकिन सुरक्षा तंत्र में चूक के लिए सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना आवश्यक है।
उद्देश्य: समावेशी राष्ट्रवाद और सेना का सम्मान
कांग्रेस इन सभाओं के माध्यम से समावेशी राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने, सेना के प्रति आमजन के सम्मान को मजबूती देने और लोगों को सैनिकों के बलिदानों की अहमियत समझाने का प्रयास करेगी।
पूर्व सैन्य अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता भी होंगे शामिल
इन सभाओं में केवल राजनीतिक नेता ही नहीं, बल्कि सेना के पूर्व अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और युवा नेता भी भाग लेंगे। इन सभी का उद्देश्य यह संदेश देना है कि भारतीय सेना की सुरक्षा और सम्मान केवल सरकार की ही नहीं, बल्कि हर नागरिक की भी जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष:
कांग्रेस की यह पहल आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का अहम हिस्सा बन सकती है। सेना के सम्मान के मुद्दे पर कांग्रेस की यह रणनीति उसे जनता से सीधे जोड़ने में कारगर साबित हो सकती है, वहीं विपक्ष के रूप में वह सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल भी उठा रही है।
