राजस्थान में मेडिकल बिल के अधिकार को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, जहां निजी डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है. अलग से बुधवार को राजस्थान में डॉक्टरों ने स्वास्थ्य के अधिकार के विरोध में काम बंद करने की घोषणा की, जिसमें सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी शामिल हैं. निजी अस्पतालों में डॉक्टरों के समर्थन में सरकारी अस्पतालों के आने के बाद सभी स्तरों पर डॉक्टरों ने सामूहिक कार्य को पूरे दिन के लिए छोड़ने का फैसला किया। उधर, सरकारी डॉक्टरों की शिकायतों के स्तर को देखते हुए सरकार अब सख्त हो गई है। सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा मंगलवार शाम को जारी एक आदेश के अनुसार, सार्वजनिक अस्पतालों में डॉक्टरों के बंद में भाग लेने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, मंगलवार को भी पीएचसी-सीएचसी डॉक्टर्स एंड जनरल प्रैक्टिशनर्स यूनियन, ऑल राजस्थान इन-सर्विस डॉक्टर्स एसोसिएशन (अरिस्दा) ने पूरी तरह से सेवा से हटने का ऐलान किया है. आपको बता दें कि बिल को हटाने की इच्छा से डॉक्टर आश्वस्त हैं और सीएम अशोक गहलोत और मंत्री परसादी लाल मीणा द्वारा परियोजना को समाप्त करने और बातचीत के तरीके को स्वीकार करने के लिए लगातार कॉल किए जा रहे हैं. सीएम गहलोत ने मंगलवार को कहा कि डॉक्टरों में अनबन हो गई थी.
दरअसल, मेडिकल लाइसेंस को लेकर बुधवार को डॉक्टरों के बैंड की अधिसूचना के बाद राजस्थान सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से सरकारी डॉक्टरों को अधिसूचना जारी कर दी है. सरकार ने राज्य के सभी मेडिकल स्कूलों को पत्र भेजकर अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि विरोध के दौरान सार्वजनिक अस्पतालों में सभी स्वास्थ्य सेवाएं ठीक से काम कर रही हैं।
इसके अलावा राज्य सरकार ने मरीजों की सुविधा के लिए मेडिकल कालेजों के लिए जूनियर रेजिडेंट्स के 1000 पद स्वीकृत किए हैं जहां सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को इंटरव्यू लेने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. मालूम हो कि बीते मंगलवार को ही मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा था कि बिल किसी भी कीमत पर वापस नहीं होगा और हम सरकारी व्यव्स्थाओं को मजबूत करेंगे.
राजस्थान सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में आगे कहा गया है कि निजी अस्पतालों के बंद होने से मरीजों को परेशानी हो रही है और सरकारी अस्पतालों में भी चिकित्सा सेवाएं ठप होने की सूचना मिली है, ऐसे में मेडिकल स्कूल निकाय प्राचार्य. अब ओपीडी, आईपीडी, आई.सी.यू. जैसी सभी आवश्यक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए संचालन किया जा रहा है। और आपातकालीन सेवाएं बिना किसी रुकावट के चलती रहे.
वहीं नोटिस में आगे सरकार ने कहा है कि समस्त चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ को केवल विशेष परिस्थितियों में ही अवकाश दिया जाए और अगर रेजिडेन्ट डॉक्टर किसी भी प्रकार की अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतते हैं तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाए.
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