विश्व तम्बाकू दिवस के अवसर पर निकाली रैली
झुंझुनू 31 मई। विश्व तम्बाकू दिवस, बाल विवाह रोकथाम अभियान विषय पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा तालुका विधिक सेवा समितियों द्वारा विभिन्न रैली तथा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिला विधिक सेवा प्राधिरकण की सचिव दीक्षा सूद ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, झुंझुनूं के सयुंक्त तत्वावधान में जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली का मुख्य विषय नशा करने से होने वाले विभिन्न दुष्परिणाम तथा नालसा द्वारा नशा पीड़ितों हेतु जारी स्कीम के बारे में जागरूकता रहा। इस दौरान सूद ने कहा कि नशा करना आज आधुनिकता का प्रतीक माना जाने लगा है जबकि कोई ज्ञान प्राप्त कर आधुनिक नहीं बनना चाहता। जिसका नतीजा समाज आज भी भुगत रहा है और शायद आगे और भी ज्यादा भयावह रूप में भुगतेगा। नशा कई प्रकार से है जिसमें तम्बाकू का नशा सबसे ज्यादा किया जाता है क्योंकि यह हमारे भारतीय समाज में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
- नितेश चौहान एडवोकेट 59%, 43 votes43 votes 59%43 votes - 59% of all votes
- सुरेंद्र गोयल 12%, 9 votes9 votes 12%9 votes - 12% of all votes
- दिलीप चौधरी 12%, 9 votes9 votes 12%9 votes - 12% of all votes
- अविनाश गहलोत 10%, 7 votes7 votes 10%7 votes - 10% of all votes
- रसाल कंवर 3%, 2 votes2 votes 3%2 votes - 3% of all votes
- Beejaram* 3%, 2 votes2 votes 3%2 votes - 3% of all votes
- महेंद्र रोहिवाल 1%, 1 vote1 vote 1%1 vote - 1% of all votes
- देवाराम कटारिया 0%, 0 votes0 votes0 votes - 0% of all votes
हर नुक्कड़, चौराहे पर इसे आसानी से दुकानों से प्राप्त किया जा सकता है। दीक्षा सूद ने बताया कि जो व्यक्ति धुम्रपान कर रहा है वो अपने स्वयं के फेफड़ों को तो जला रहा है ही परन्तु इसके साथ ही आस पास के वातावरण को दूषित कर रहा है जिससे नशा न करने वाला व्यक्ति भी प्रभावित हो रहा है। दूषित वातावरण जो कि कैंसर जैसी भयानक बीमारी को जन्म देता। कैंसर जरूरी नहीं कि तम्बाकू के सेवन से ही हो परन्तु ज्यादातर कैंसर से पीड़ित लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं। इसके लिए सरकार ने काफी कोशिशें की लेकिन अभी तक इसका ज्यादा असर नहीं हुआ है। सूद ने बताया कि आजकल सामान्यतः लोग एकल परिवार में रहना पसंद करते है। परिवार में कम लोग होतेे हैं जिससे परिवार के लोगों का अपने बच्चों के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ाव ज्यादा होता है जिससे अगर बच्चे अपने माता पिता को तम्बाकू के सेवन पर मना करते हैं तो इसका असर काफी ज्यादा पड़ता है और तम्बाकू के सेवन में कमी आ सकती है। तम्बाकू में जिस रसायन की मात्रा सबसे अधिक पायी जाती है वो है निकोटिन। निकोटिन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है यह इन्सान को नशे का आदी तो बनाता ही है साथ में इसके प्रभाव से मानव शरीर में अनेकों प्रकार के कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों को जन्म भी देती है निकोटिन के प्रभाव के चलते व्यक्ति को भूख-प्यास लगना, दिमाग का सामान्य रूप से काम करना आदि बंद कर देता है जिसके चलते धीरे धीरे व्यक्ति पूर्ण रूप से बिना नशे के जीवित नहीं रह पाता है और वही नशा एक दिन व्यक्ति के जीवन के अंत का कारण भी बनता है। तो ऐसे में एक तरफ जहा व्यक्ति खुद को नशे के चलते बर्बाद तो करता ही है और नशे के कारण उसके साथ के रहने वाले परिवार तथा आसपास के लोग भी बहुत अधिक प्रभावित होते है खासतौर पर अक्सर देखा जाता है की जिन घरों में कोई भी व्यक्ति चोरी छिपे या खुले रूप किसी भी प्रकार से नशे का सेवन करता है तो निश्चित ही उस घर के बच्चे भी उन बड़े व्यक्तियों के नशे करते हुए देखते है तो कही न कही बच्चे की सीखने की ललक भी उन्हें बचपन से गलत रास्ते पर ले जाने में सहायक होने लगती है और यही बच्चा आगे चलकर खुलेआम नशे का सेवन करने लगता है जिसके लिए उस बच्चे के घर परिवार के सदस्य या वे मित्र दोस्त ही जिम्मेदार होते है जिन जिन लोगो के सम्पर्क में वो बच्चा रहता है । इसी के साथ झुंझुनूं जिले में तालुका स्तर पर भी विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर आमजन को नशे से होने वाले विभिन्न दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया गया।
