राजस्थान में बारिश ने जल निकासी की पोल खोल दी है. लेकिन इसे लेकर जो राजनीति हो रही है वो लोगों को ज्यादा हैरान कर देती है. इस मामले में लाचारी जताते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि मुख्य अस्पताल 50 से 100 साल पुराना है. इसलिए इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकल पा रहा है. उधर, अजमेर, जयपुर समेत कई इलाकों में बारिश में सड़कों और अस्पतालों में पानी भर जाने को विपक्ष ने सरकार की बड़ी विफलता बताया है.
बरसात के दिनों में पानी बहने की शिकायतें आना और इन शिकायतों को धत्ता बताते हुए सड़कों पर पानी जमा हो जाना कोई नई बात नहीं है। और अगर एक दिन की हल्की बारिश के बाद किसी सरकारी अस्पताल में पानी भर जाए और मरीजों की जान खतरे में पड़ जाए तो इसे क्या कहा जाएगा? 24 घंटे पहले राजस्थान में हुई बारिश के बाद जब राजधानी में प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल से भी यही हुआ तो राजनीति भी शुरू हो गई. बीजेपी ने इसे सरकार की बड़ी विफलता बताया.
चूंकि आरोप स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से जुड़ा है, इसलिए इस पर सफाई देने के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सामने आएं. लेकिन उनके शब्दों में भी स्थायी समाधान की उम्मीद के बजाय बेबसी झलक रही थी. उन्होंने इसके लिए अस्पताल की पुरानी व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया.
स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि अस्पताल में पानी घुसना दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन ये भी सच है कि एसएमएस जैसे बड़े सरकारी अस्पताल को बने हुए 50 से 100 साल हो गए हैं. हम जयपुर में एक ओपीडी एसएमएस टावर बना रहे हैं। इसके बाद यह समस्या खत्म हो जायेगी.
भाजपा नेताओं को समझना होगा कि अगर अस्पताल में इस तरह पानी भर गया तो यह अकेले हमारी जिम्मेदारी नहीं है। वह भी एक जन प्रतिनिधि हैं और उन्हें लोगों की मदद के लिए अपनी पैंट ऊपर करके लोगों की सहायता करनी चाहिए।’ कोरी बयानबाजी से स्थिति नहीं सुधरेगी. अगर उसमें पानी भरा है तो हम उसे हटा भी देते हैं. वे यह बात क्यों नहीं समझते?
जाहिर है, इस चुनावी साल में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं है. लेकिन अगर अस्पताल प्रबंधन की वजह से मरीज ही समस्या का केंद्र बन जाएं और इसके लिए एकजुट होने की बजाय इस तरह दोषारोपण करने लगें तो इसे क्या कहा जाएगा.