बीजेपी के राष्ट्रीय नेता जेपी नड्डा ने राजस्थान में बीजेपी नेताओं को सलाह दी कि वे आंदोलन के साथ लेकिन मजबूत आवाज के साथ वोट करें. अलग-अलग गुटों में बंटी बीजेपी नेताओं को जेपी नड्डा ने दिया कड़ा संदेश? सूत्रों के मुताबिक, जेपी नड्डा ने साफ कर दिया है कि राजस्थान में आम चुनाव जीतना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसलिए सब मिलकर काम करें. दरअसल, जेपी नड्डा रविवार को एक दिवसीय दौरे पर जयपुर आए थे. जेपी नड्डा ने नहीं सुधरेगा राजस्थान शुभारंभ की स्थापना की।
सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा ने राजधानी जयपुर के एक भव्य होटल में बीजेपी नेताओं के साथ मैराथन बैठक की, जिसके बाद उन्होंने एक तरफ नेताओं को भेदभाव से बचने का स्पष्ट संदेश दिया और दूसरी ओर गहलोत प्रशासन की समग्र रणनीति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की. जयपुर दौरे पर आए जेपी नड्डा ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी. उन्होंने कहा कि राजस्थान का चुनाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए सभी को अपनी शक्ति का प्रयोग करना होगा। महत्वाकांक्षाओं पर लक्ष्मण रेखा खींची। उन्होंने कहा कि सभी को जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा। कुछ चुनाव में भाग लेंगे, मिशन 2023 में इन सभी को एक साथ आना होगा.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब जेपी नड्डा ने राजस्थान को एकजुट रहने की सलाह दी है. अमित शाह और जेपी नड्डा जब भी राजस्थान दौरे पर आए तो उन्होंने सिर्फ सत्र के लिए साथ मिलकर काम करने की सलाह दी. इस दौरान कुछ ऐसी ही बातें हुईं. अमित शाह के बाद दूसरे नंबर के नेता बीएम संतोष भी पार्टी नेताओं के एक वर्ग से नाराज थे। सवाई माधोपुर में पिछली बैठक में बीएल संतोष ने खुलेआम कहा था कि हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे. राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह देखना दिलचस्प होगा कि ये दोनों नेता राजस्थान सरकार को इस बारे में कैसे समझाते हैं.
गौरतलब है कि राजस्थान में साल के अंत में आम चुनाव होने हैं. इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस बिना मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ रही हैं. कांग्रेस ने सीएम का चेहरा उजागर नहीं करने का फैसला किया. इस बीच बीजेपी नेता कह रहे हैं कि इस बार के आम चुनाव में फैसला पूरी तरह से प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर होगा. वसुंधरा राजे समेत किसी भी नेता का नाम मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर सामने नहीं आया है. इससे पहले पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने वसुंधरा राजे का सामना किया था और बड़ी जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई है. पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनाव के करीब छह महीने बाद बीजेपी के साथ गठबंधन खराब है.