कोटा 18 अगस्त। मेडिकिल एज्यूकेशन यूनिट के तत्वाधान में मेडिकल कालेज ऑडिटोरियम में एक सतत् शिक्षा कार्यक्रम ;ब्डम्द्ध किया गया जिसका विषय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका“ था। प्रधानाचार्य डॉ. संगीता सक्सेना द्वारा दीपप्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। उन्होंनेे कहा कि जिस प्रकार रेडियोडाइग्नोसिस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश ने क्रान्ति ला दी है, उसी प्रकार चिकित्सा विज्ञान का हर विभाग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश के प्रयोग से मरीजों को लाभ पहुँचा सकता है। आटिर्फिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सीखने एवं नया करने की प्रबल संभावना है। समस्त संकाय सदस्यों, पी.जी. एवं यू.जी. छात्रों को आज के समय आटिर्फिशियल इंटेलिजेंश को अनिवार्य रूप से सिखना है।
मेडिकल एज्यूकेशन यूनिट के समन्वयक डॉ. मनोज सालूजा ने एक सतत् शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्य एवं उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला एवं संकाय सदस्यों और छात्रों से सक्रिय भागीदारी के लिए कहा, जिससे हम बाहर से आये हुए विषय विशेषज्ञों से हम अधिकतम लाभान्वित हो सकें। कार्यशाला में 170 संकाय सदस्यों, 150 रेजिडेन्ट डाक्टर्स एवं 700 मेडिकल छात्रों ने भाग लिया साथ ही राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के संकाय सदस्यों एवं पी.जी. छात्रों ने भी भाग लिया। राजस्थान प्रदेश में इस विषय पर होने वाली यह प्रथम कांफ्रेंस हैं।
वक्ता, आईसीएमआर इंसीट्युट के पूर्व निदेशक एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश विभाग के प्रमुख डॉ. विश्ववर्धन राव थे। उन्होनें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे शोध कार्यों में आटिर्फिशियल इंटेलिजेंश की उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होनें बताया कि चिकित्सा विभाग का डाटा जटिल प्रकृति का होता है, इसके विश्लेषण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश का प्रयोग क्रान्ति ला सकता है।
दूसरी वक्ता इंडियन इन्सटीट्यूट ऑफ साइंस बंगलौर की डॉ. वानती सुन्दरेशन ने बताया कि न्यूरोलोजी के मस्तिष्क रोगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश की मदद से दशकों पहले पूर्वानुमान एवं भविष्यवाणी की जा सकती है। इस विषय पर उनकी टीम ने कई शोध कार्य किये हैं।
तीसरे वक्ता डॉ. तवप्रतेश सेठी थे, जिन्होनें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग की एल्गोरिदम के बारे में बताया कि किस प्रकार इस एल्गोरिदम का प्रयोग जेनेटिक्स संक्रामक रोगों एवं अन्य रोगों के निदान में किया जा सकता है। अन्तिम सत्र में डॉ. राव ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश के चिकित्सा विज्ञान में प्रयोग के सम्बन्ध में एथिकल गाईड लाईन के बारे में समझाया कि शोध कार्य में क्या-क्या सावधानियों की आवश्यकता है और किस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सर्वोत्तम किया जा सकता है।