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शिव महापुराण कथा में सृष्टि व ब्रह्मा-विष्णु प्राकट्य वर्णन, शिवलिंग पर पुष्प अर्पण एवं अभिषेक के महत्व पर प्रकाश डाला

उदयपुरवाटी/चंंवरा श्री कृष्ण गौशाला हीरवाना-चंवरा में गोरसिया परिवार के द्वारा बामलास धाम के महंत लक्ष्मण दास महाराज एवं सोमनाथ शास्त्री नेपाल के सानिध्य में चल रही 11 दिवसीय शिव महापुराण कथा महायज्ञ के चौथे दिन कथा वाचक मुक्तिनाथ शास्त्री नेपाल द्वारा सृष्टि रचना, ब्रह्मा एवं विष्णु की प्राकट्य कथा का विस्तृत वर्णन किया गया। शिवलिंग पर पुष्प अर्पित करने तथा विभिन्न धारा जलधारा, दुग्ध धारा से अभिषेक के महत्व को समझाया।

कथावाचक ने सृष्टि का वर्णन करते हुए कहा कि सबसे पहले तीन तत्वों सत्व, रज, तम का प्रादुर्भाव हुआ। इनमें से चौबीस मांह तत्व का विस्तार हुआ। उन्होंने पुष्प अर्पण और अभिषेक का महत्व बताते हुए कहा कि पुष्प अर्पित करने से लक्ष्मी अत्यधिक प्रसन्न होती है तथा कभी भी साथ नहीं छोड़ती है। अभिषेक करने से सुख-समृद्धि और शांति की अनुभूति प्राप्त होती है। उन्होंने कहा मनुष्य जीवन बार-बार नहीं मिलता है इसलिए प्रत्येक मनुष्य परमात्मा का स्मरण करते हुए जग कल्याण और भलाई के कार्य करें। बीच-बीच में भगवान भोलेनाथ के भजनों की रंगारंग प्रस्तुतियों से श्रोता झूम उठे।

इस दौरान कथा के आयोजन विश्वनाथ गोरसिया, मोहनदास महाराज, गौशाला कोषाध्यक्ष बनवारी लाल जांगिड़, नंदीशाला मीडिया प्रभारी जगदीश प्रसाद महरानियां, हीरालाल मास्टर, गुलझारी लाल, बजरंग गोरसिया, शेरसिंह खटाणा, मुकेश दाधीच, प्रहलाद बराला, प्रमोद जांगिड़, नरेश कुमार, भाताराम रावत, डॉ भूपेंद्र कुमार दुलड़, नंदकिशोर शर्मा, सचिन शर्मा, कन्हैयालाल रावत, अजय जाखड़ शाहिद काफी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे।

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