माता-पिता व पति के गुजर जाने के बाद हिम्मत कर पढ़ाई की, मेहनत मजदूरी करते हुए 17 साल बाद पहली बार में ही सेकेंडरी बोर्ड परीक्षा पास कर सशक्तिकरण का उदाहरण बनी पूजा, किया अभिनन्दन.
बूंदी 27अगस्त। राजस्थान स्टेट ओपन बोर्ड परीक्षा 2023 के परिणामों की गत दिनों घोषणा की गई जिसमें बून्दी की मजदूर विधवा महिला पूजा लक्षकार ने पढ़ाई छोड़ने के सत्रह साल बाद पहले अवसर में ही सेकंडरी परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने आपको महिला सशक्तिकरण के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। विषम परिस्थितियों से जूझकर यह उपलब्धि प्राप्त करने पर रविवार को मोटीवेटर डॉ. सर्वेश तिवारी व सामाजिक कार्यकर्ता महिलाओं द्वारा पूजा का अभिनंदन किया गया।
रविवार को नागदी बाजार में रहने वाली पूजा का सामाजिक कार्यकर्ता अनीता जैन व मंजू जैन ने माल्यार्पण कर मुंह मीठा करवाया। तिवारी ने मोटिवेशन शैक्षणिक सामग्री भेँट की। आयोजित अभिनंदन कार्यक्रम में मोहल्ले की सामाजिक कार्यकर्ता उषा जैन ने बताया की पूजा की कहानी बहुत दुख भरी है लेकिन वह एक हिम्मतवाली लड़की है रो तो है लेकिन रोने के बाद अपने आप को संभाल लेती है। बेंटे युवराज, भाई सत्यनारायण व बुद्धि प्रकाश के चेहरे भी इस खुशी से खिल गए। शिक्षा से वंचित महिलाओं के प्रेरणा अभियान से जुड़े मोटीवेटर डॉ सर्वेश तिवारी ने बताया कि 17 वर्ष पूर्व पूजा के सिर से मां का साया उठ गया।
शादी के सिर्फ 5 वर्ष बाद तीन बच्चों के साथ उसे अकेला छोड़कर एक दुर्घटना में पति भी चले गए। ससुराल की परेशानियों से पीड़ित होकर वह पीहर आ गई। 2 वर्ष पूर्व उसके पिता की भी मृत्यु हो गई ऐसे में अपने पीहर में दो भाइयों के साथ अपने बच्चों का पालन पोषण मजदूरी से करते हुए पूजा का सम्पर्क एक प्रशिक्षण कार्यशाला में तिवारी से हुआ उन्होंने ने उसे जीवन के प्रति सकारात्मक किया व पुनः शिक्षा प्राप्त करने हेतु प्रेरित किया।
उन्होंने ही प्रयास कर पूजा का राजस्थान सरकार की निशुल्क शिक्षा योजना शिक्षा सेतु के तहत ओपन बोर्ड से कक्षा 10 हेतु आवेदन करवाया। प्रोत्साहन व अन्य सहयोग प्रदान किया। पूजा ने मजदूरी करते हुए अपना जीवन यापन करने के साथ साथ खाली समय में अध्ययन का निरंतर प्रयास किया और परीक्षा परिणाम में पहले ही अवसर में सेकेंडरी बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने आप को महिला सशक्तिकरण के आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया। परिणाम पर अपने खुशी के आंसूओं के साथ पूजा कहती है कि जब मैं ऐसी विषम स्थितियों में पढकर पास हो सकती हूं तो मेरी जैसी कई बहनें भी पढ़कर सफल हो सकतीं है। पूजा अब आगे पढ़कर जीवन में आत्मनिर्भर बनना चाहती है।
क्या है शिक्षा सेतु योजना
तिवारी ने बताया कि राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण योजना शिक्षा सेतु शिक्षा वंचित व्यक्तियों के लिए है जिसमे कोई अधिकतम उम्र नहीं है। इस योजना अंतर्गत 14 वर्ष की न्यूनतम आयु की कोई भी बालिका या महिला कक्षा 10 की परीक्षा सीधे दे सकती है, इसके लिए कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी आवश्यक नहीं है, केवल उसके पास जन्मतिथि का प्रमाण पत्र होना आवश्यक है। इसी प्रकार 15 वर्ष की आयु की कोई भी महिला जिसने दसवीं उत्तीर्ण कर रखी हो 12वीं परीक्षा दे सकती है।
इस योजना के अंतर्गत किसी प्रकार का कोई शुल्क देय नहीं है, पुस्तके व परीक्षा निशुल्क है 5 वर्ष में 9 अवसर पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए दिए जाते हैं। सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी दोनों परीक्षाओं में निर्धारित विषयों में से कोई पांच विषय महिलाएं व किशोरिया अपनी रुचि से चुन सकती हैं। ब्लॉक, जिला तथा राज्य स्तर पर अव्वल रहने वाली प्रथम, द्वितीय महिलाओं को मीरां पुरस्कार में सरकार द्वारा नगद राशि भी प्रदान की जाती है। शहर के उच्च माध्यमिक विद्यालय व महारानी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में इस हेतु आवेदन किया जा सकता है।