बिछीवाड़ा उपखण्ड क्षेत्र अन्तर्गरत फाइनेंस कम्पनियो व उनके कर्मियों द्वारा वाहन की किस्तें पूरी जमा कराने के बाद भी
वाहन की किमत से अधिक राशी वसूल कर गरीब भोले भाले अशिक्षित आदिवासियों से खुल्ले आम लुट खसोट जारी है। जबकि अनुसूचित क्षेत्र में पैसा एक्ट साहूकार अधिनियम आदि लागू है जिसके आधार पर बिना गर्म सभा की अनुमति के फाइनेंस कम्पनीया कम नही कर सकती पर यह सब कुछ जायज है ।
ऐसा ही मामला बिछीवाड़ा पुलिस थाने में पीड़ित द्वारा कार्यवाही को लेकर दिए गए पार्थना पत्र देने के बाद आपबीती हकीकत घटना को देखने मिला पीड़ित मगन लाल खराड़ी निवासी भेहणा हमारे प्रतिनिधि के सामने आपबीती घटना बताई की उसने 28.10.2016 को हीरो डीलक्स मोटरसाइकिल जिसकी किम्मत 46,000 हजार जरिये बिल से कुमार मोटर्स बिछीवाड़ा से 20 बीच हजार रुपया एडवांस देकर खरीदी व 2240 रुपयों की 23 क़िस्त का एकमे फाइनकोंन लिमिटेड से फाइनेंस करवाया पीड़ित ने 12.10.2018 तक कुल 52720 रुपया किस्तो का जमा करा चुका व 6,490 रुपया आरसी का जमा करा वाहन के मूल कागजात प्राप्त कर लिए व फाइनेन्स ने क़िस्त समाप्त करके हस्ताक्षर कर दिए।
इस प्रकार पीड़ित ने वाहन की कुल 79,210 रुपया चुका दिया ।ठीक एक साल बाद उदयपुर फाइनेंस ऑफिस दे फोन आया व बताया कि आपकी गाड़ी का लोन बकाया है जिस पर पीड़ित ने सम्पूर्ण किस्तो के जमा करा देने व आरसी प्राप्त कर लेने की बात कही फिर भी फाइनेंसर गली गलौज व नही भरने पर गाड़ी सीज करने की धमकियां देता रहा ।ठीक एक साल जे बाद जरिए एडवोकेट से नोटिस आया व 17,826 रुपया बाकी बताया ।अब पीड़ित असजस्य में है कि सभी क़िस्त जमा कर देने व वाहन की आरसी प्राप्त करने जे 4 चाल बाद किस बात की बाकी राशि निकलती है जबकि पीड़ित वाहन की किम्मत से ज्यादा राशि जमा कर चुका है ।
इस प्रकार का मामला यह पहला नही है बिछीवाड़ा क्षेत्र से आय दिन छूट फुट ऐसी घटना होती देखी गई है कि बार वाहन की एक क़िस्त बाकी रहने के फाइनेंसर दबंगई ज्यादती गली गलौज कर मोटरसाइकिल को सीज जर ले जाते है व उन गरीबो से अधिक राशि हडोने मे कसर नही छोड़ते यहाँ तक कि अगर 1 माह तक बाकी क़िस्त लेकर वाहन लेने नही गए तो फाइनेंसर बिना गाड़ी मालिक को सूचना दिये ही अपनी मन मर्जी से वाहन को अवैध रूप से बेच देते है व इसके बाद भी ऊपर की मांग निकल कर न्यायलय में मुकदमा तक कर देते है।
बेचारे अशिक्षित गरीब किसी को कहने लड़ने पूछने की हिम्मत नही कर पाता ओर अपना शोषण का शिकार होता रहता है आखिर इन फाइनेंस कंपनी के नियम कायदे होंगे व उनकी डॉड़ में बेचारे गरीबो अशिक्षितों के लिए तो जी जा जंजाल व लूट खसोट का जरिया बनता जा रहा है ।हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई व्यक्ति गाड़ी खरीदने के लिए फाइनेंस कंपनी से लोन लेता है और लोन की किस्त समय पर चुकाने में असमर्थ होता है तो फाइनेंस कंपनी का वसूली एजेंटों के जरिए गाड़ी को जब्त करना गैरकानूनी है.
हाई कोर्ट ने कहा है कि बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति फाइनेंस कंपनी से लोन पर गाड़ी लेता है और वह उसकी किस्त समय पर नहीं चुका पाता है तो फाइनेंस कंपनी के दबंग जबरन उस व्यक्ति से उसकी गाड़ी को जब्त कर लेते हैं जो कि गलत है और इसीलिए कोर्ट ने अब फाइनेंस कंपनी और बैंकों पर जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट लोन की ईएमआई नहीं चुकाने की स्थिति में जबरन किसी व्यक्ति से गाड़ी जब्त करते हैं तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और कार्रवाई होनी चाहिए.
दूसरी ओर बिछीवाड़ा क्षेत्र में माइक्रो फाइनेंस चिटफंड का मकड़जाल बिछा रही है जिसमें गावो में महिला समूह बनाकर काम ब्याज पर लोन देने जा का जोरो पर है क़िस्त चूक जाने पर अधिक ब्याज वसूलना दबंगई करना आम बात हो गई है बेचारे गरीब अपनी आपबीती किसे बताये आखिर कम ब्याज पर लोन किस आधार ओर दिया जाता है और इसके पीछे क्या राज है सन्देह पैदा होता है कि इन गरबो के साथ शोषण का षड्यंत्र तो नही। सरकार की गहराई से जांच पड़ताल के गरीबो के लिए सरकारी लोन योजनाओ से जोड़ कर शोषण से बचाने की की पहल करनी चाहिए