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बांसवाड़ा आंदोलन संवैधानिक हैं दमन स्वीकर नही:- एका मंच

-पुलिस दमन से आदिवासी जनता की आवाज को दबाने की कोशिश ठीक नही

बिछीवाड़ा/डूंगरपुर 14 सितम्बर । आदिवासी जनाधिकार एका मंच के द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर जिला मुख्यालय के बाहर रामलाल कलासुआ के अध्यक्षता में धरना प्रदर्शन किया गया! धरने को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष गौतम लाल डामोर कि बांसवाड़ा में आदिवासी आरक्षण मंच के द्वारा जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की मांग व राज्य प्रसाशनिक सेवाओ में 6.5% आरक्षण की मांग को लेकर जिसको प्रदर्शन धरना कर सरकार तक अपनी आवाज बुलन्दी से उठा रहे हैं उस पर राज्य सरकार द्वारा कोई भी जनता है हित में निर्णय नहीं किये जा रहे है इससे जनता में आक्रोश बढ़ रहा है.

सरकार को जनता की इन मांगों पर फैसले करने की बजाय पुलिस के द्वारा दबाने के प्रयास की हम निंदा करते हैं राज्य सरकार को आंदोलनकारी जनता के प्रतिनिधियों से द्विविपक्षीय वार्ता कर समस्या का समाधन तत्काल करना चाहिए सरकार समाधन के बजाय प्रतिनिधि को गिरफ्तार कर पुलिस का दमन चलाया जा रहा है जिससे जनता में सरकार के खिलाफ जन आक्रोश फैलेंगा आदिवासी जनाधिकार एकामंच भी दमन के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त करता है भविष्य में दमन नही रुका तो हमे भी जनता के हित में आंदोलन में उतरना पड़ेगा भगवती भील कमलकांत कटारा गिरफ्तार किए हुए समस्त आरक्षण मंच के नेताओ को रिहा कर व मुकदमें वापस ले भारतीय नागरिको का लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाना सवैंधानिक अधिकार है और इस अधिकार का पर दमन सहन नही होगा!

बांसवाड़ा के आंदोलनकारियो को तत्काल प्रभाव से रिहा करें व जिन प्रतिनिधियों पर मुकदमें है उन मुकदमों को हटाया जाए..!केन्द्र व राज्य ऐसा कानूनी प्रावधान करें कि आदिवासियों के विकास के लिए जनसंख्या के अनुपात में वार्षिक बजट में आवंटन का हो। वित्तीय वर्ष समाप्त होने बजट लैप्स न हो और न ही अन्यत्र खर्च हो । केंद्र व राज्य सरकार की भर्तियों में अनुसूचित जनजाति के बैंक लॉग को पूरा किया जाये।. निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण दिया जाये. छात्रवृत्तियों व अन्य प्रोत्साहन राशियों को महंगाई के साथ जोड़ा जाये व भुगतान समय पर किया जाये।अनुसूचित क्षेत्र (टी.एस.पी) की भर्तियों में आदिवासियों की जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाये।

राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में प्रशासनिक सेवाओं में 6.5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किय जावे।व नाधिकार कानून को ईमानदारी से लागू करो व वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 को केंद्र सरकार वापस ले। मनरेगा का बजट बढ़ाया जाए ताकि सभी को काम मिले व मजदूरी का भुगतान समय पर हो।

आदिवासी क्षेत्र की विभिन्न स्कूलों में पर्याप्त भवन नहीं होने या जर्जर अवस्था में होने से बच्चे खुले में बैठने को मजबूर हैं। शीघ्र मरम्मत व नये भवन निर्माण किया जाये। आदिवासी क्षेत्र के स्कूलों, कॉलेजों में शिक्षकों सहित विभिन्न कर्मचारियों के रिक्त पदों पर भर्ती की जाये।आदिवासी युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए तकनीकी व व्यवसायिक विशेष प्रशिक्षण कोर्स शुरू किये जाये।मजदूरी के लिए पलायन करने वाले आदिवासियों का पंजीकरण हो व ठेकेदारों के शोषण को रोका जाए।

आदिवासियों की जमीनों का विभिन्न परियोजनाओं के नाम से अधिग्रहण न किया जाए। जमीन अधिग्रहण करने से पहले पर्याप्त मुआवजा व पुनर्वास व पुनर्वसन किया जाये। पांचवीं अनुसूची को व पेसा कानून को ईमानदारी से लागू करो। आदिवासी किसानों को खेती में प्रत्साहन के लिए सिंचाई, खाद, बीज व अन्य सहायता दी जाये। आश्रम छात्रावासों आवासीय विद्यालयों की व्यवस्था सुधारी जाए, वार्डन सहित विभिन्न कर्मचारियों की जनजाति विभाग भर्ती करें।जिला खनन निधि का उपयोग खनन क्षेत्र के विकास के लिए ही खर्च हो !

उपरोक्त माँगो का समाधन शीघ्र अति अतिशीघ्र किया जाए अन्यथा आदिवासी जनाधिकार एका मचं उग्र आंदोलन करेगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रसाशन की रहेगीं

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