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बांग्लादेश का चीन-पाक के करीब जाना भारत के लिए खतरे की घंटी, कुनमिंग में हुई त्रिपक्षीय बैठक से बदले कूटनीतिक समीकरण

नई दिल्ली / कुनमिंग।
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अब तेजी से चीन और पाकिस्तान के साथ संबंधों को प्रगाढ़ कर रही है, जिससे भारत की कूटनीतिक स्थिति पर दबाव बढ़ता नजर आ रहा है। हाल ही में कुनमिंग (चीन) में आयोजित पहली त्रिपक्षीय बैठक में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के शीर्ष विदेश मंत्रालय अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में आपसी सहयोग, विश्वास और समानता के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी।


चीन के BRI का नया फ्रंट?

बैठक में चीन के उपविदेश मंत्री सन वेइदोंग, बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव रूहुल आलम सिद्दिकी और पाकिस्तान के अतिरिक्त विदेश सचिव इमरान अहमद सिद्दिकी शामिल हुए। सन वेइदोंग ने साफ तौर पर कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान, चीन के “घनिष्ठ पड़ोसी” हैं और दोनों Belt and Road Initiative (BRI) के लिए अहम रणनीतिक भागीदार हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बैठक केवल औपचारिक नहीं बल्कि भारत के लिए एक रणनीतिक चेतावनी है। दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को संतुलित करने के लिए चीन अब बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ जोड़कर त्रिकोणीय गठजोड़ बनाने की दिशा में बढ़ रहा है।


भारत पर निर्भरता घटाने की कोशिश

बांग्लादेश की नई कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चीन के साथ आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों को तेज़ी से मजबूत करना शुरू किया है। उनका लक्ष्य है कि भारत पर निर्भरता घटाई जाए और चीन से सैन्य, तकनीकी और वित्तीय मदद ली जाए। साथ ही पाकिस्तान से भी रक्षा और व्यापारिक समझौतों को फिर से सक्रिय करने की कोशिश हो रही है।


भारत के लिए तीन तरफा दबाव

भारत पहले से ही चीन के साथ लद्दाख सीमा विवाद, पाकिस्तान के साथ कश्मीर और आतंकवाद को लेकर तनाव और अब बांग्लादेश के रुख में बदलाव से तीन ओर से घिरा हुआ महसूस कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति भारत के लिए डिप्लोमैटिक रीसेट का संकेत है।

दिल्ली के रणनीतिक मामलों के जानकार प्रो. रणदीप कुमार के अनुसार, “बांग्लादेश का पाकिस्तान और चीन के करीब जाना भारत की ‘Neighbourhood First’ नीति के लिए बड़ा झटका है। यह समय है जब भारत को बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा करनी होगी और विश्वास बहाली के ठोस कदम उठाने होंगे।”


पाकिस्तान ने जताई खुशी, चीन को कहा धन्यवाद

पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच ने त्रिपक्षीय बैठक में चीन की पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह “तीनों देशों की साझा आकांक्षाओं और लोगों के विकास” पर केंद्रित है। पाकिस्तान के इस बयान से यह भी स्पष्ट है कि चीन अब दक्षिण एशियाई राजनीति में और गहराई से पैठ बना चुका है।


निष्कर्ष: कूटनीतिक चुनौतियों के घेरे में भारत

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद बदले समीकरणों ने भारत की क्षेत्रीय नीति को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता उत्पन्न कर दी है। जहां एक ओर भारत को सीमाओं पर सख्ती बनाए रखनी होगी, वहीं दूसरी ओर कूटनीति के स्तर पर बांग्लादेश के साथ विश्वास का सेतु फिर से खड़ा करना बेहद जरूरी हो गया है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

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