डूंगरपुर, 13 अगस्त 2025 — आदिवासी अंचल डूंगरपुर में वीरबाला कालीबाई कलासुआ के पाठ को पांचवी कक्षा की अंग्रेजी किताब से हटाए जाने के विरोध में मंगलवार को भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा (बीपीवीएम) के कार्यकर्ताओं ने भोगीलाल पंड्या राजकीय महाविद्यालय (एसबीपी) के गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान टायर जलाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई और 7 दिनों में पाठ बहाल करने की मांग रखी गई।
कॉलेज गेट पर टायर जलाकर जताया विरोध
बीपीवीएम के कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष तुषार परमार के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्र महाविद्यालय परिसर में एकत्र हुए। इसके बाद नारेबाजी करते हुए मुख्य गेट पर पहुंचे, जहां टायर जलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। तुषार परमार ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में कालीबाई को “शिक्षा की देवी” के रूप में जाना जाता है। महज 13 साल की उम्र में उन्होंने अपने गुरु की जान बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत की गोली खाकर शहादत दी थी।
“आदिवासी इतिहास से छेड़छाड़” का आरोप
परमार ने आरोप लगाया कि भाजपा शासनकाल में एनसीईआरटी की लापरवाही से वीरबाला कालीबाई का प्रेरक प्रसंग पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस शासन में उन्हें शिक्षा के प्रेरक के रूप में सम्मानित करते हुए स्कूटी योजना का नामकरण भी उनके नाम से हुआ था। अब योजनाबद्ध तरीके से आदिवासी इतिहास से छेड़छाड़ की जा रही है।”
मानगढ़ धाम विवाद भी उठा
छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि इससे पहले भी मानगढ़ धाम के इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया था। उनका कहना है कि भाजपा शासन पूर्ववर्ती सरकार में शामिल महत्वपूर्ण चेप्टर को हटाने का काम कर रहा है।
7 दिन का अल्टीमेटम
बीपीवीएम ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर 7 दिनों में वीरबाला कालीबाई का पाठ पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया, तो उदयपुर स्थित एनसीईआरटी कार्यालय के बाहर घेराव और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया जाएगा।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।