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ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद भारत भी बना रहा बंकर बस्टर बम, DRDO ने तेज की तैयारी

ईरान के अंडरग्राउंड परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के बंकर बस्टर बम से किए गए हमलों ने वैश्विक सुरक्षा समीकरणों को बदल कर रख दिया है। इस हमले के बाद भारत ने भी ऐसे घातक हथियारों की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अब तेजी से स्वदेशी बंकर बस्टर बम विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब भारत को अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से बार-बार परमाणु खतरे का सामना करना पड़ता है। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों को पहाड़ी इलाकों के नीचे भूमिगत बंकरों में रखा है। ऐसे में भारत का यह कदम रणनीतिक और तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

अग्नि मिसाइल से पहुंचेगा बंकर बस्टर

अमेरिका ने जहां अपने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स के जरिए ईरान के फोर्डो, नातांज और इस्फहान जैसे ठिकानों पर भारी बम गिराए, वहीं भारत अपने बंकर बस्टर बम को मिसाइल-बेस्ड डिलीवरी सिस्टम से जोड़ने जा रहा है। DRDO अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के संशोधित संस्करण पर काम कर रहा है, जो पारंपरिक (non-nuclear) बंकर बस्टर वारहेड को ले जाने में सक्षम होगा। यह वारहेड विस्फोट से पहले 80 से 100 मीटर तक जमीन के अंदर घुस सकता है और फिर विस्फोट करेगा, जिससे भूमिगत ठिकानों को पूरी तरह तबाह किया जा सकेगा।

भारत का बंकर बस्टर होगा ‘मिश्रित क्षमता’ वाला

इस वारहेड का वजन करीब 7,500 किलोग्राम होगा, जिससे इसकी रेंज कुछ सीमित होकर 2,500 किलोमीटर रह सकती है। हालांकि, इसकी गति ध्वनि की गति से 8 से 20 गुना तेज होगी, जिससे लक्ष्य पर अचूक प्रहार संभव होगा। DRDO का मानना है कि मिसाइल आधारित बंकर बस्टर अमेरिका के हवाई डिलीवरी मॉडल की तुलना में अधिक किफायती और सटीक होगा।

अमेरिका के MOP बम से क्या सीखा भारत ने?

अमेरिका ने अपने बंकर बस्टर बम GBU-57A/B Massive Ordnance Penetrator (MOP) से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इसका वजन करीब 14,000 किलोग्राम होता है और यह 200 फीट तक जमीन में जाकर धमाका कर सकता है। इस हमले ने दुनिया भर की सेनाओं को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है।

पाकिस्तान पर नजर, ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख

हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को सामरिक मोर्चे पर हार का सामना करना पड़ा था। भारत को यह अहसास हुआ कि भविष्य में किसी संघर्ष की स्थिति में पाकिस्तान के भूमिगत परमाणु हथियारों को निष्क्रिय करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसी चुनौती का जवाब भारत बंकर बस्टर बम के जरिए देने की तैयारी में है।

निष्कर्ष

भारत का यह कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अहम है, बल्कि यह देश की स्वदेशी सैन्य तकनीक को भी नई ऊंचाई देगा। DRDO की यह परियोजना आने वाले महीनों में वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन सकती है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है। मनोज का उद्देश्य है कि हर पाठक को सरल भाषा में सटीक और विश्लेषणात्मक खबरें मिलें, जिससे वह अपनी राय बना सके। वे डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में लगातार नई तकनीकों और ट्रेंड्स को अपनाकर अपने लेखन को और प्रभावशाली बना रहे हैं।

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