विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के मौके पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने एक विशेष शैक्षिक मॉड्यूल जारी किया है। इस मॉड्यूल में भारत के 1947 के विभाजन के लिए तीन पक्षों—कांग्रेस, मोहम्मद अली जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन—को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस मॉड्यूल का टाइटल ‘विभाजन के दोषी’ रखा गया है।
अलग-अलग कक्षाओं के लिए मॉड्यूल
NCERT ने यह मॉड्यूल कक्षा 6 से 8 और 9 से 12 के छात्रों के लिए अलग-अलग तैयार किया है। उद्देश्य है कि नई पीढ़ी विभाजन की त्रासदी और उसके ऐतिहासिक पहलुओं को समझ सके।
मॉड्यूल में क्या कहा गया
मॉड्यूल में स्पष्ट किया गया कि विभाजन किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था। इसमें तीन लोगों/पक्षों की भूमिका रही—
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जिन्ना, जिन्होंने विभाजन का प्रचार किया।
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कांग्रेस, जिसने विभाजन को स्वीकार किया।
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माउंटबेटन, जिन्हें विभाजन को लागू करने के लिए भेजा गया था।
इसके अलावा, इसमें बताया गया कि विभाजन के बाद भी हिंदू-मुस्लिम नफरत खत्म नहीं हुई और इसी दौरान कश्मीर का मुद्दा सामने आया, जो भारत की विदेश नीति की सबसे बड़ी चुनौती बन गया।
सियासी संग्राम शुरू
इस मॉड्यूल के सामने आते ही राजनीति गर्मा गई है। राजद नेता मनोज झा ने कहा— “इतिहास किसी की सोच से नहीं बदलता। आप कांग्रेस को नहीं, बल्कि गांधी को गुनहगार मान रहे हैं। इस तरह की छेड़छाड़ से इतिहास नहीं बदलेगा। आप नफरत की फसल बो रहे हैं।”
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने NCERT को विभाजन पर खुली बहस की चुनौती दी। वहीं प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तीखा हमला बोलते हुए कहा—”इस दस्तावेज़ को जला देना चाहिए क्योंकि यह सच नहीं बताता। विभाजन हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की सांठगांठ का नतीजा था।” खेड़ा ने आगे कहा कि RSS इस देश के लिए खतरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाजन का विचार सबसे पहले 1938 में हिंदू महासभा ने पेश किया था और बाद में 1940 में जिन्ना ने उसे दोहराया।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।