पटना के जानीपुर थाना क्षेत्र से एक भयावह और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) पटना में कार्यरत एक नर्स के दो मासूम बच्चों को उनके ही घर में जिंदा जला दिया गया। इस क्रूर वारदात ने न सिर्फ इलाके को स्तब्ध कर दिया है, बल्कि पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है।
मृतकों की पहचान अंजलि और अंश के रूप में हुई है। दोनों बच्चे शोभा देवी और ललन कुमार गुप्ता के संतान थे। बताया जा रहा है कि बच्चे स्कूल से लौटकर जैसे ही घर पहुंचे, कुछ ही देर बाद यह वीभत्स घटना घटी। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे इलाके की नाकेबंदी कर जांच में जुट गई है।
घटना के बाद घर का मंजर किसी भयावह सपने से कम नहीं था। एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें बच्चे का जला हुआ शव बिस्तर पर पड़ा हुआ दिखता है। शव के चेहरे को कपड़े से ढका गया है। वहीं घर के दरवाजे पर बैठी माँ, जो एम्स पटना में बतौर नर्स कार्यरत हैं, अपने बेटे के शव के पास फूट-फूटकर रोती नजर आ रही हैं। आस-पड़ोस के लोग उन्हें ढाढ़स बंधा रहे हैं, लेकिन इस सदमे से उबर पाना आसान नहीं दिखता।
हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बच्चों की मौत किसी घरेलू हादसे के चलते हुई या फिर यह किसी साजिश के तहत अंजाम दी गई सुनियोजित आपराधिक वारदात है। पुलिस अधिकारी हर एंगल से मामले की पड़ताल कर रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो सकेगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटना ने इलाके में डर और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया है। बच्चे स्कूल से लौटे ही थे, उस समय माता-पिता घर पर नहीं थे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह वारदात पहले से सुनियोजित थी? क्या अपराधियों ने घर पर अकेले बच्चों को देखकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया? फिलहाल पुलिस आस-पड़ोस के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है और परिजनों से भी पूछताछ कर रही है ताकि घटना की कड़ियों को जोड़ा जा सके। पटना पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और इस जघन्य अपराध की जांच को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है।
इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या राजधानी पटना में भी अब घर के भीतर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं रह गई है? क्या अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे दिनदहाड़े इस तरह की दरिंदगी को अंजाम देने से भी नहीं डरते? अब सबकी निगाहें पुलिस की जांच पर टिकी हैं, जो इस दर्दनाक घटना के दोषियों को जल्द से जल्द पकड़कर कानून के कठघरे में लाने की कवायद में जुटी है। पीड़ित परिवार के लिए यह क्षति कभी न भरने वाली है, लेकिन न्याय की उम्मीद अभी बाकी है।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।