राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर संघ शक्ति कार्यालय, जयपुर में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए इतिहास से जुड़े एक बड़े विवाद पर अपनी भूमिका स्पष्ट की। उन्होंने दावा किया कि हल्दीघाटी युद्ध से संबंधित विवादित शिलालेख को बदलवाना उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है।
दीया कुमारी ने कहा कि बतौर राजसमंद सांसद, उन्होंने हल्दीघाटी में लगे उस शिलालेख का विरोध किया था जिसमें लिखा गया था कि अकबर ने यह युद्ध जीता था। उन्होंने इसे “इतिहास से खिलवाड़” बताया और कहा कि 2021 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से लेकर दिल्ली तक इस शिलालेख को बदलवाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया।
“अब शिलालेख पर लिखा है कि महाराणा प्रताप ने यह युद्ध लड़ा और उनकी वीरता अमर रही।”
— दीया कुमारी, उप मुख्यमंत्री, राजस्थान
उन्होंने इस काम में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के सहयोग का जिक्र करते हुए कहा कि यह बदलाव न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, बल्कि राष्ट्र की आत्मा को पहचान दिलाने के लिए भी आवश्यक था।
“अब मुगलों के दृष्टिकोण से नहीं पढ़ेंगे इतिहास”
दीया कुमारी ने कहा कि भारत में अब तक जो इतिहास पढ़ाया गया, वह मुगलों और अंग्रेजों की ‘डिवाइड एंड रूल’ नीति पर आधारित था। उसमें राजपूतों और हिंदुओं को आपस में लड़ाने की रणनीति झलकती है। “हमारी किताबों में वही भरा गया जो सत्ता के अनुकूल था। अब सच सामने लाने का समय है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “सही इतिहास” को उजागर करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि नई पीढ़ी को अब वही पढ़ाया जाएगा जो देश की असली विरासत को दर्शाता है।
मेवाड़ से मिला ‘अपार स्नेह’
समारोह में भावुक होते हुए दीया कुमारी ने अपनी पूर्व संसदीय सीट राजसमंद का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब पार्टी ने उन्हें वहां से चुनाव लड़ने को कहा, तो उन्हें संदेह था कि वहां लोग उन्हें जानते भी हैं या नहीं। लेकिन मेवाड़ की जनता ने उन्हें जिस तरह अपनाया, वह उनके लिए अविस्मरणीय है। “जयपुर की बेटी होते हुए भी मेवाड़ ने मुझे अपना मान लिया।”
निष्कर्ष
दीया कुमारी का यह बयान ऐसे समय आया है जब इतिहास के पुनर्लेखन को लेकर देश में चर्चाएं तेज़ हैं। हल्दीघाटी युद्ध और महाराणा प्रताप को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस में अब एक नई राजनीतिक परत जुड़ गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दीया कुमारी के इस बयान पर इतिहासकार और विपक्षी दल किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।