– अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने विवादित और सनसनीखेज बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। व्हाइट हाउस की ओर से साझा किए गए एक हालिया वीडियो में ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, “भारत और पाकिस्तान लगभग 1000 साल से लड़ रहे हैं। मैंने कहा… चलो एक साथ लाते हैं।”
मिसाइलों की धमक के बीच ट्रंप का ‘हस्तक्षेप’
ट्रंप ने दावा किया कि एक समय ऐसा था जब भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पूरी तरह “काबू से बाहर” हो गए थे और “मिसाइलें दिखाई देने लगी थीं।” उन्होंने कहा कि इसी वक्त उन्होंने हस्तक्षेप किया और दोनों देशों को एक साथ लाकर शांति कायम करने की कोशिश की।
“मैंने नहीं कहा कि मैंने किया… लेकिन मैं वहां था”: ट्रंप
ट्रंप ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में कहा, “मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैंने किया, लेकिन मैं वहां था और निश्चित रूप से मैंने मदद की।” उन्होंने अपने समर्थकों के बीच खुद को एक “पीस मेकर” यानी शांति स्थापित करने वाला नेता साबित करने की कोशिश की।
ट्रंप का बयान: सच्चाई और अतिशयोक्ति के बीच?
हालांकि ट्रंप का दावा “1000 साल पुराने संघर्ष” को लेकर इतिहास से मेल नहीं खाता, क्योंकि भारत और पाकिस्तान को स्वतंत्र हुए अभी 78 साल ही हुए हैं। ट्रंप के बयानों में अक्सर व्यक्तिगत श्रेय लेने की प्रवृत्ति दिखती है, और ये बयान भी उसी श्रेणी में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों की राय: “बातें ज़्यादा, तथ्य कम”
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की बयानबाज़ी को राजनीतिक प्रचार और व्यक्तिगत ब्रांडिंग की रणनीति के तौर पर देखा जाना चाहिए। उन्होंने जो भूमिका निभाई, वह ज़रूरी हो सकती है, लेकिन उसे “पूर्ण समाधान” कहना अतिशयोक्ति है।
भारत और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
भारत लंबे समय से किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता आया है और कश्मीर सहित अन्य विवादों को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाने की नीति पर अडिग है। वहीं पाकिस्तान अमेरिका सहित अन्य देशों से मध्यस्थता की मांग करता रहा है। ऐसे में ट्रंप के दावे को लेकर दोनों देशों की आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है।
ट्रंप का ‘पीस मेकर मोड’ और व्यापारिक एजेंडा
ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने व्यापार को बातचीत का जरिया बनाकर तनाव को कम किया। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि यह समाधान स्थायी नहीं हो सकता। “स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही थी, और मैंने इसे संभाला,” उन्होंने दावा किया।
निष्कर्ष: ट्रंप की ‘शांति कोशिश’ – प्रचार या पहल?
डोनाल्ड ट्रंप के ये दावे निश्चित रूप से राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनेंगे। उनके बयान को जहां एक ओर प्रचार की रणनीति माना जा सकता है, वहीं दूसरी ओर यह अमेरिका की रणनीतिक सोच की झलक भी देता है।
ट्रंप की राजनीतिक शैली को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि उनके बयान चुनावी रणनीति और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग दोनों के लिए हैं। लेकिन सवाल बना रहेगा — क्या भारत और पाकिस्तान वाकई “ट्रंप टच” से शांत हुए या यह सिर्फ एक और ‘ट्रंपियन दावा’ है?

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है। मनोज का उद्देश्य है कि हर पाठक को सरल भाषा में सटीक और विश्लेषणात्मक खबरें मिलें, जिससे वह अपनी राय बना सके। वे डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में लगातार नई तकनीकों और ट्रेंड्स को अपनाकर अपने लेखन को और प्रभावशाली बना रहे हैं।