नई दिल्ली, 8 अगस्त:
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क (टैरिफ) को दोगुना करते हुए 50% कर दिया है। इस निर्णय के बाद अमेरिका की प्रमुख रिटेल कंपनियों अमेजन, वॉलमार्ट, टारगेट और गैप ने भारत से अपने ऑर्डर अस्थायी रूप से रोक दिए हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कंपनियों ने भारतीय निर्यातकों को ईमेल और पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि कपड़ा और परिधान की शिपमेंट फिलहाल के लिए रोक दी जाए।
यह खबर भारतीय कपड़ा और परिधान निर्यात उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि अमेरिका इस सेक्टर का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। 2024-25 में भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात का कुल मूल्य 36.61 अरब डॉलर था, जिसमें से 28% हिस्सा अमेरिका को निर्यात किया गया।
4 से 5 अरब डॉलर तक का नुकसान संभव
नए टैरिफ के चलते उत्पाद लागत में 30% से 35% की बढ़ोतरी हो सकती है। अमेरिका की कंपनियां यह बढ़ी हुई लागत भारतीय निर्यातकों पर डालना चाहती हैं, जिससे भारत से ऑर्डर 40% से 50% तक घट सकते हैं। इससे भारतीय निर्यातकों को अनुमानतः 4 से 5 अरब डॉलर तक का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
भारत से ऑर्डर हटाकर बांग्लादेश और वियतनाम को फायदा?
भारतीय निर्यातकों को अब इस बात की चिंता सता रही है कि उनके ऑर्डर बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों में शिफ्ट हो सकते हैं, जहां आयात शुल्क केवल 20% है। बढ़े हुए टैरिफ के चलते भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में काफी महंगे हो जाएंगे, जिससे प्रतिस्पर्धा में नुकसान होगा।
बड़ी भारतीय कंपनियां खतरे में
भारत की कई प्रमुख कपड़ा और परिधान कंपनियां जैसे वेलस्पन लिविंग, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, इंडो काउंट, और ट्राइडेंट अपनी बिक्री का 40% से 70% हिस्सा अमेरिका से कमाती हैं। अगर ऑर्डर में कमी आई तो इन कंपनियों की आय पर सीधा असर पड़ेगा और हजारों नौकरियों पर संकट गहरा सकता है।
भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव
ट्रंप सरकार के इस फैसले से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ने की आशंका है। भारत सरकार इस मुद्दे को लेकर अमेरिका से बातचीत कर रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। भारतीय निर्यातक अब सरकार से आर्थिक सहायता और रणनीतिक समर्थन की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका जैसे बड़े बाजार को खोना भारत के लिए दीर्घकालिक आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है।
क्या करें भारतीय निर्यातक?
इस संकट से निपटने के लिए भारतीय निर्यातकों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा करें, संभावित नए बाजारों की पहचान करें, और सरकार से सहयोग लेकर नई रणनीति पर काम करें।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला न केवल भारत के कपड़ा और परिधान उद्योग बल्कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस संकट का सामना कैसे करता है — राजनीतिक कूटनीति से, नीति सुधार से या निर्यात में विविधता लाकर।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।