नई दिल्ली | 13 अगस्त 2025 – सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद राजधानी दिल्ली में पालतू कुत्तों को सड़कों पर छोड़ने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें पिटबुल जैसी खतरनाक नस्लें भी शामिल हैं। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि आवारा कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद लोग डर के मारे अपने पालतू कुत्तों को लावारिस छोड़ रहे हैं।
पशु जन्म नियंत्रण (ABC) केंद्रों के मुताबिक, आदेश के बाद कॉल्स की बाढ़ आ गई है। पहले जहां रोज़ाना 50-70 कॉल आती थीं, अब यह संख्या 300 से ऊपर पहुंच गई है। कई कॉल्स में लोग अपने पालतू कुत्तों को छोड़ने या आवारा कुत्तों को पकड़ने की मांग कर रहे हैं। नेबरहुड वूफ की प्रभारी आयशा क्रिस्टीन बेन ने कहा, “अगर कुत्तों को उनके पुराने ठिकानों पर वापस नहीं भेजा गया तो हमारे शेल्टर की क्षमता जल्द ही भर जाएगी, और यह कुत्तों के लिए भी तनावपूर्ण होगा।”
जानवरों के अधिकार से जुड़े कार्यकर्ता मानते हैं कि आदेश का उद्देश्य पशुओं पर क्रूरता रोकना है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप गलतफहमियां और डर का माहौल भी बन रहा है। कई इलाकों में लोग आशंकित हैं कि सड़कों पर आवारा कुत्तों की संख्या और बढ़ सकती है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे पर इंसान और पशु—दोनों के हितों का संतुलन कैसे साधता है।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।