नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025
भारत और अमेरिका के बीच पिछले एक दशक से मजबूत होते रिश्तों में हाल ही में अप्रत्याशित मोड़ आया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और रूस से भारत के बढ़ते ऊर्जा संबंधों ने इस तनाव को जन्म दिया है। ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल से मुनाफा कमाने का आरोप लगाया है और इसके जवाब में भारतीय सामानों पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी है। ट्रंप ने 30 जुलाई को एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के ज़रिए 1 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिसे बाद में 7 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ पर लिखा कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीद कर उसे खुले बाजार में अधिक दामों पर बेच रहा है और यूक्रेन युद्ध का “अनुचित” लाभ उठा रहा है।
ट्रंप का आरोप: भारत को युद्ध की परवाह नहीं
ट्रंप ने कहा, “भारत को परवाह नहीं कि यूक्रेन में कितने लोग मर रहे हैं। ऐसे में भारत को कड़ा संदेश देना ज़रूरी है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को वर्षों से अमेरिका की तरफ से व्यापार में रियायतें मिलती रही हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि टैरिफ बराबरी पर लाए जाएं।
ट्रंप की रणनीति का असली मकसद क्या?
कैपिटलमाइंड के सीईओ दीपक शेनॉय के अनुसार, यह विवाद केवल रूस के कारण नहीं है, बल्कि ट्रंप भारत की प्रतिक्रिया को परखना चाहते हैं। शेनॉय ने कहा, “यह एक गेम है। ट्रंप देखना चाहते हैं कि भारत किस स्तर तक टैरिफ पर प्रतिक्रिया देता है। यह पागलपन की हद तक जा सकता है।” शेनॉय का मानना है कि ट्रंप इस समय चीन के दबाव में हैं, और चीन से पिछड़ने के कारण अब भारत जैसे देशों पर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारत को इस समय संयम रखना चाहिए और धीरे-धीरे अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहिए।”
“पहले अपना गिरेबान झांके अमेरिका”
भारत सरकार ने ट्रंप के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में स्पष्ट किया कि भारत एक वैश्विक आर्थिक शक्ति है और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। भारत ने यह भी दोहराया कि अमेरिका और यूरोप के देश स्वयं भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, ऐसे में भारत पर उंगली उठाना दोगलापन है। भारत का रुख स्पष्ट है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।
निष्कर्ष
भारत-अमेरिका संबंध इस समय नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। ट्रंप की टैरिफ नीति और आक्रामक बयानबाजी से पैदा हुआ यह तनाव दोनों देशों के व्यापार और कूटनीति पर असर डाल सकता है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस दबाव का सामना कैसे करता है और अमेरिका के साथ संतुलन कैसे बनाए रखता है।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।