राजस्थान की राजनीति में चर्चित नाम बन चुके नरेश मीणा को गुरुवार को जयपुर सेशन कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जयपुर महानगर प्रथम की एमएम-12 अदालत ने लगभग 20 साल पुराने मामले में साक्ष्यों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। यह मामला 5 अगस्त 2004 को जयपुर यूनिवर्सिटी में हुए घूमर कार्यक्रम के दौरान सड़क जाम और राजकार्य में बाधा पहुंचाने से जुड़ा था।
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायाधीश खुशबू परिहार ने अपने फैसले में कहा कि मामले में पुलिस द्वारा कोई स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया गया। जिन पुलिसकर्मियों को गवाह बनाया गया था, उनकी निष्पक्षता संदेह के घेरे में रही। वहीं, मुख्य परिवादी कॉन्स्टेबल भी ट्रायल के दौरान कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ। साथ ही कोर्ट को न कोई मौका नक्शा, न मेडिकल रिपोर्ट और न ही घटना स्थल की कोई फोटोग्राफिक सामग्री प्रस्तुत की गई। इस आधार पर अदालत ने नरेश मीणा को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
क्या था मामला?
5 अगस्त 2004 को दोपहर 1 बजे जयपुर यूनिवर्सिटी परिसर में घूमर कार्यक्रम के दौरान, महिला गेट पर तैनात पुलिसकर्मियों ने बताया कि नरेश मीणा, मान सिंह मीणा और उनके कुछ साथी जबरन स्टेज की ओर बढ़ने लगे। पुलिस द्वारा रोके जाने पर, कथित रूप से उन्होंने भीड़ को उकसाते हुए कहा कि “इन पुलिसवालों को मारो”। इसी दौरान एक पत्थर कॉन्स्टेबल की आंख पर जा लगा और वह घायल हो गया। इस घटना के बाद गांधी नगर थाने में मामला दर्ज हुआ।
नरेश मीणा को मिली राहत, लेकिन जेल से नहीं मिली मुक्ति
इस मामले में मिली राहत के बावजूद, नरेश मीणा अभी भी टोंक सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्हें देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान एसडीएम से अभद्रता और थप्पड़ मारने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस केस में राजस्थान हाईकोर्ट ने 19 मार्च को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहले, समरावता गांव में हुई हिंसा के मामले में भी 12 फरवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।
वकीलों की प्रतिक्रिया
नरेश मीणा की ओर से मामले की पैरवी एडवोकेट फतेहराम मीणा और एडवोकेट अब्दुल वाहिद नकवी ने की। कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि यह न्याय की जीत है और यह दर्शाता है कि बिना ठोस साक्ष्य किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

Author: manoj Gurjar
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