बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के लगातार बदलते तेवरों से एनडीए खेमे में हलचल तेज हो गई है। हाल ही में चिराग ने कहा था कि “लोजपा (आर) बिहार में एनडीए का हिस्सा नहीं है, मैंने तय कर लिया है कि किसके साथ चुनाव लड़ना है।” इस बयान ने सियासी तापमान और बढ़ा दिया है।
मांझी की नसीहत
हम (सेक्युलर) के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने चिराग को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें सोच-समझकर फैसला करना चाहिए और एनडीए में ही अपना भविष्य तलाशना चाहिए। मांझी ने कहा, “बेहतर होगा कि विधानसभा चुनाव एनडीए के साथ मिलकर लड़ा जाए, ताकि विपक्ष को कड़ी टक्कर दी जा सके।”
चिराग की प्रेशर पॉलिटिक्स
जून से अगस्त तक 60 दिनों में चिराग ने करीब 12 बार एनडीए सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने से लेकर कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति तक पर बयान दिए। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि यह चिराग की “प्रेशर पॉलिटिक्स” है, ताकि विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें हासिल की जा सकें।
विपक्ष को मिल रहा मौका
एनडीए नेताओं का कहना है कि चिराग के बयान विपक्ष के लिए अवसर पैदा करते हैं। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने चुटकी लेते हुए कहा, “चिराग का मन विचलित होता है, इसका कोई इलाज नहीं है।”
चिराग की सीटों की मांग
2024 लोकसभा चुनाव में लोजपा (आर) ने 6.47% वोट शेयर हासिल कर पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद से एनडीए में चिराग का प्रभाव बढ़ा है। अब वे विधानसभा चुनाव में करीब 45 सीटों की मांग कर रहे हैं। यह मांग नीतीश कुमार की जेडीयू के लिए चुनौती बन सकती है।
कब क्या बोले चिराग पासवान
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12 जून 2025: 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही।
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29 जून 2025: राजगीर में दोहराया – “243 सीटों पर उतरेंगे।”
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06 जुलाई 2025: छपरा में फिर 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान।
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07 जुलाई 2025: कहा – “बिहार में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।”
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12 जुलाई 2025: “बिहारी और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे।”
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17 जुलाई 2025: “अपराधी अब खुलेआम पुलिस और कानून को चुनौती दे रहे हैं।”
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26 जुलाई 2025: “बिहार पुलिस निकम्मी है, सरकार को समर्थन करना गलती थी।”
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14 अगस्त 2025: “लोजपा (आर) एनडीए का हिस्सा नहीं है।”
आगे की राह
चिराग पासवान की युवा छवि और भाषण शैली उन्हें बिहार की राजनीति में अलग पहचान देती है। विश्लेषक मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में उनकी रणनीति न सिर्फ एनडीए के भीतर उथल-पुथल पैदा कर सकती है बल्कि तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं के लिए भी चुनौती साबित हो सकती है।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।