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बालासोर छात्रा की मौत पर राहुल गांधी ने जताया शोक, कहा — “ये आत्महत्या नहीं, सिस्टम द्वारा की गई हत्या है”

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ओडिशा के बालासोर में यौन उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष कर रही बीएड छात्रा की मौत के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया है। इस घटना को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पीड़िता के पिता से बातचीत की और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया। राहुल गांधी ने इसे न सिर्फ एक बेटी की मौत, बल्कि “सिस्टम द्वारा की गई हत्या” करार दिया है।राहुल गांधी ने बुधवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि उन्होंने बालासोर की उस बहादुर बेटी के पिता से बात की, जिसने इंसाफ की लड़ाई में अपनी जान गंवाई। राहुल ने लिखा:“उनकी आवाज़ में बेटी का दर्द, सपना और संघर्ष सब महसूस किया। कांग्रेस पार्टी और मैं हर कदम पर उनके साथ हैं। जो हुआ वह अमानवीय और शर्मनाक ही नहीं, पूरे समाज का ज़ख्म है।”

 राहुल का सीधा हमला: “यह आत्महत्या नहीं, सिस्टम का संगठित अपराध”

राहुल गांधी ने ओडिशा की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह घटना “संगठित हत्या” का मामला है। उन्होंने कहा: “उस बहादुर छात्रा ने यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन उसे न्याय नहीं मिला। उसे धमकाया गया, अपमानित किया गया और अंततः खुद को आग लगाने पर मजबूर होना पड़ा।” “यह आत्महत्या नहीं, यह सिस्टम का अपराध है — वह सिस्टम जो पीड़ित को तोड़ता है और आरोपी को बचाता है।”

विपक्ष का तीखा वार, प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल

इस दिल दहला देने वाली घटना को लेकर कांग्रेस, बीजद और अन्य विपक्षी दलों ने ओडिशा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष का आरोप है कि अगर समय रहते पीड़िता की शिकायत पर ध्यान दिया गया होता, तो उसकी जान बच सकती थी। छात्रा के परिवार ने स्पष्ट किया है कि वे किसी मुआवजे की मांग नहीं कर रहे, बल्कि “इंसाफ” चाहते हैं।

 क्या है मामला?

यह मामला बालासोर के फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय का है, जहां बीएड द्वितीय वर्ष की छात्रा ने अपने एचओडी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। शिकायत की अनदेखी से आहत छात्रा ने कॉलेज के बाहर खुद को आग के हवाले कर दिया। वह 95% तक झुलस गई थी और बाद में एम्स भुवनेश्वर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मंगलवार को छात्रा का शव उसके गांव लाया गया, जहां हजारों लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए। स्थानीय सांसद प्रताप सारंगी और अधिकारी भी शोक जताने पहुंचे।

महिला सुरक्षा और संस्थागत संवेदनशीलता पर फिर सवाल

इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर महिला सुरक्षा और संस्थागत जवाबदेही पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। यह साफ हो गया है कि जब तक पीड़िता को न्याय नहीं मिलता, तब तक “बेटी बचाओ” जैसे नारों का कोई अर्थ नहीं रह जाता।

 आगे क्या?

प्रशासन की ओर से फिलहाल कोई ठोस कार्रवाई की खबर नहीं है। पीड़िता के परिजन और नागरिक समाज की मांग है कि आरोपी शिक्षक के खिलाफ त्वरित गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई हो, ताकि देश की अन्य बेटियों का भरोसा बचा रह सके।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

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