नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लोकसभा में जोरदार बहस देखने को मिली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस दौरान कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कई गंभीर आरोप लगाए। शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता से भारत के वंचित रहने का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने चीन के प्रति कांग्रेस के ‘झुकाव’ को लेकर भी सवाल उठाए।
शाह का नेहरू पर हमला
अमित शाह ने लोकसभा में कहा, “आज चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और भारत नहीं। इसका कारण नेहरू की तत्कालीन नीतियां हैं। जब डोकलाम में हमारे सैनिक चीनी सेना का सामना कर रहे थे, तब राहुल गांधी चीनी राजदूत से मिल रहे थे। कांग्रेस में तीन पीढ़ियों से चीन के प्रति प्रेम चला आ रहा है — नेहरू, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक।”
“पीएम मोदी कर रहे प्रयास”
गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय नेहरू ने रेडियो पर असम को ‘अलविदा’ कहा था, जो देश की आत्मा को आहत करने वाला था।
“1948 में भी हुआ था एकतरफा युद्धविराम”
शाह ने 1948 का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय सेना उस समय पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने के लिए निर्णायक स्थिति में थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने एकतरफा युद्धविराम की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा, “इतिहास गवाह है कि हर मोड़ पर कांग्रेस के फैसलों ने देश की संप्रभुता और सुरक्षा के साथ समझौता किया।”
विपक्ष का पलटवार
विपक्ष की ओर से डीएमके सांसद कनिमोझी ने पलटवार करते हुए कहा, “बीजेपी के नेता नेहरू को कांग्रेस से ज़्यादा याद करते हैं। हर गलती के लिए नेहरू को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है, यह उचित नहीं है।”
कांग्रेस पर हमले का सिलसिला
शाह ने आगे कहा कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए। “हमने तुरंत पाकिस्तान के नागरिकों के वीजा सस्पेंड किए, सिंधु जल संधि को भी स्थगित किया। हमारी सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंक का जवाब सख्ती से दिया जाएगा।”
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस ने सरकार से पारदर्शिता की मांग की थी। विपक्ष का आरोप था कि सेना और सरकार के बीच समन्वय की कमी है और ऑपरेशन में कुछ बिंदु अस्पष्ट हैं। मंगलवार को हुई बहस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जवाब दिया था, लेकिन अमित शाह के जवाब ने सत्र में सियासी तापमान और बढ़ा दिया।
निष्कर्ष:
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा महज एक सैन्य कार्रवाई से जुड़ी नहीं रही, बल्कि यह आजादी के बाद की विदेश नीति, चीन से संबंध, नेहरू युग की रणनीतियों और समकालीन सुरक्षा मुद्दों तक पहुंच गई। अमित शाह के निशाने पर सीधे तौर पर नेहरू परिवार था, तो विपक्ष ने भी तीखा पलटवार करने में देर नहीं लगाई।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।