राजस्थान सरकार की बहुप्रचारित पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गांव योजना को लेकर अब खुद सरकार के भीतर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग की इस योजना पर कैबिनेट बैठक के दौरान विभागीय मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने ही कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह योजना संसाधन-संपन्न बीपीएल परिवारों को अनावश्यक लाभ दे रही है, जबकि जरूरतमंद अब भी उपेक्षित हैं।
“अपात्रों पर क्यों लुटाया जा रहा पैसा?” – मंत्री मीना
मंत्री मीना ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक हो चुकी है, उन्हें 21 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का कोई औचित्य नहीं है। उनके मुताबिक, सरकारी सहायता केवल उन्हीं लोगों को दी जानी चाहिए जिनके पास मकान, शौचालय, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। हालांकि यह असहमति आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनी।
क्या है ‘गरीबी मुक्त गांव योजना’?
राज्य सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों की स्थिति सुधारने के लिए इस योजना के तहत 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। योजना का प्रथम चरण अप्रैल-जून 2025 के बीच 41 जिलों के 5002 गांवों में 30631 परिवारों का सर्वे कर पूरा किया गया। सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले रहे — 72% यानी 22076 परिवार अब बीपीएल श्रेणी से बाहर आ चुके हैं। सरकार ने इन सभी परिवारों को आत्मनिर्भर घोषित करते हुए प्रत्येक को 21,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि व ‘आत्मनिर्भर परिवार कार्ड’ देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अभी तक करीब 46.35 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
सवालों के घेरे में योजना
इस योजना पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन परिवारों को राज्य सरकार ने बीपीएल से बाहर माना है, उन्हें अब केंद्र सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना व अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा या नहीं? क्योंकि बीपीएल सूची का निर्धारण केंद्र स्तर पर होता है और इससे जुड़े लाभ वही तय करता है।
हकीकत: अब भी हजारों परिवार वंचित
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 6524 परिवार अब भी वास्तविक रूप से गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिता रहे हैं। इनमें से:
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122 परिवारों के पास बिजली-पानी तक नहीं है
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1056 के पास शौचालय नहीं है
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758 परिवार इलाज कराने में असमर्थ हैं
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726 को गैस कनेक्शन नहीं मिला है
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728 परिवारों को पेंशन नहीं मिल रही है
द्वितीय चरण की तैयारी
सरकार अब द्वितीय चरण के सर्वेक्षण की तैयारी कर रही है, जिसमें 5000 गांवों के 77545 परिवारों को शामिल किया गया है। यह चरण दिसंबर 2025 तक पूरा किया जाएगा।
निष्कर्ष
राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य भले ही गरीबी उन्मूलन हो, लेकिन सही लाभार्थियों की पहचान और सरकारी संसाधनों का प्रभावी उपयोग अब सवालों के घेरे में है। मंत्री किरोड़ीलाल मीना की आपत्ति ने यह साफ कर दिया है कि सरकार के भीतर भी योजना के क्रियान्वयन को लेकर असहमति और चिंता मौजूद है। क्या वाकई जरूरतमंदों तक पहुंच रही है सरकारी मदद? यह सवाल अब केवल विपक्ष का नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष का भी बन चुका है।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।