राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर है। प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियों (जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम) को उपभोक्ताओं से मई माह में बिजली खपत पर अधिक फ्यूल सरचार्ज वसूलना भारी पड़ गया है। अब यह अतिरिक्त राशि अगस्त माह के बिलों में समायोजित की जाएगी। दरअसल, बिजली निगमों ने मई माह में प्रति यूनिट 28 पैसे की दर से फ्यूल सरचार्ज वसूल किया था, जबकि वास्तविक दर केवल 15.88 पैसे/यूनिट ही थी। इस प्रकार 12.12 पैसे/यूनिट अधिक वसूले गए। पूरे प्रदेश में मई में कुल 1027.19 करोड़ यूनिट बिजली की खपत हुई, जिससे कुल ₹124.47 करोड़ की अतिरिक्त राशि उपभोक्ताओं से वसूली गई।
आयोग के नियम के अनुसार तीन माह में ही होनी चाहिए वसूली
राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (RERC) के नियमों के अनुसार किसी भी माह का फ्यूल सरचार्ज तीन माह के भीतर ही वसूला जाना अनिवार्य है। इस अवधि के बाद उपभोक्ताओं से वह राशि नहीं वसूली जा सकती। ऐसे में बिजली निगमों को अतिरिक्त वसूली को समायोजित करना होगा।
अजमेर डिस्कॉम ने जारी किया आदेश
अजमेर डिस्कॉम के एसीइ (हेडक्वार्टर) राजीव वर्मा ने आदेश जारी करते हुए कहा कि आयोग के 6 फरवरी 2020 को जारी टैरिफ आदेश के तहत मई की खपत के लिए 2.07% की दर से फ्यूल सरचार्ज लागू होगा, जो अगस्त के बिल में समायोजित किया जाएगा। चूंकि पहले ही 28 पैसे/यूनिट वसूले जा चुके हैं, इसलिए अब ऊर्जा शुल्क व स्थायी शुल्क पर 2.07% दर से पुनः सही सरचार्ज की गणना की जाएगी। राज्य सरकार से सब्सिडी का दावा करने के लिए कृषि और सब्सिडी प्राप्त घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अलग से फ्यूल सरचार्ज की गणना की जाएगी, जिससे उन्हें भी राहत मिल सके।
टॉपिक एक्सपर्ट की राय
ऊर्जा क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि इस प्रकार की अग्रिम और अधिक वसूली उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाती है। इसलिए आगे से ऐसी स्थिति से बचने के लिए नियमन और बिलिंग प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और अनुशासन लाने की आवश्यकता है।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।