नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर SEBI ने शुक्रवार को हुई बोर्ड बैठक में निवेशकों और कंपनियों से जुड़े कई अहम फैसले किए। इस बैठक में सबसे बड़ा बदलाव शेयर बिक्री (Share Sale) नियमों में ढील का रहा। अब बड़े IPO (Initial Public Offering) लाने वाली कंपनियों को मिनिमम शेयरहोल्डिंग नियम (Minimum Shareholding Rule) में राहत मिलेगी।
IPO और पब्लिक शेयरहोल्डिंग में ढील
SEBI चेयरपर्सन तुहिन कांत पांडे ने बताया कि मौजूदा ₹4,000 करोड़ की लिमिट से आगे चार नए थ्रेशहोल्ड बनाए गए हैं:
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₹4,000 करोड़ से ₹50,000 करोड़
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₹50,000 करोड़ से ₹1 लाख करोड़
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₹1 लाख करोड़ से ₹5 लाख करोड़
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₹5 लाख करोड़ से अधिक
नए नियमों के अनुसार:
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जिन कंपनियों का मार्केट कैप ₹50,000 करोड़ से ₹1 लाख करोड़ के बीच है, वे अब 25% पब्लिक शेयरहोल्डिंग पांच साल में हासिल कर सकेंगी (पहले तीन साल की सीमा थी)।
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जिनका पोस्ट-इश्यू मार्केट कैप ₹1 लाख करोड़ से अधिक है और लिस्टिंग के समय पब्लिक शेयरहोल्डिंग 15% से कम है, उन्हें 15% हिस्सेदारी पांच साल में और 25% हिस्सेदारी दस साल में पूरी करनी होगी।
रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन में राहत
मौजूदा नियमों के तहत लिस्टेड कंपनियों को ₹1,000 करोड़ से अधिक या कंसॉलिडेटेड टर्नओवर के 10% से ज्यादा के RPTs (Related Party Transactions) के लिए शेयरहोल्डर अप्रूवल लेना अनिवार्य था। SEBI ने माना कि यह नियम ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए बोझिल साबित हो रहा था और इसमें ढील दी गई है।
इंश्योरेंस कंपनियों और पेंशन फंड्स को फायदा
IPO नियमों में भी बड़ा बदलाव किया गया है। अब एंकर क्वोटा में 7% अतिरिक्त हिस्सा इंश्योरेंस कंपनियों और पेंशन फंड्स को मिलेगा। यानी बीमा कंपनियां, पेंशन फंड्स और म्यूचुअल फंड्स को मिलाकर कुल 40% एंकर क्वोटा मिलेगा।
इसके अलावा, ₹250 करोड़ से अधिक के इश्यू में एंकर अलॉटीज की संख्या 25 से बढ़ाकर 30 कर दी गई है।
म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए राहत
SEBI ने म्यूचुअल फंड स्कीम से समय से पहले पैसा निकालने पर लगने वाला अधिकतम एग्जिट लोड 5% से घटाकर 3% कर दिया है। इससे निवेशकों को फायदा होगा क्योंकि वे बाजार की स्थिति या व्यक्तिगत जरूरत के अनुसार फंड रिडीम करते समय कम लागत चुकाएंगे।
निष्कर्ष
SEBI के इन फैसलों को निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए राहत भरे कदम माना जा रहा है। IPO नियमों में ढील से बड़ी कंपनियों के लिए बाजार में उतरना आसान होगा, जबकि म्यूचुअल फंड निवेशकों को लागत घटने का सीधा लाभ मिलेगा।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।