[the_ad id="102"]

बिहार वोटर लिस्ट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: विशेष गहन पुनरीक्षण जारी रहेगा, आधार को पहचान पत्र मानने पर विचार का सुझाव

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि चुनाव आयोग की ओर से चलाया जा रहा पुनरीक्षण अभियान जारी रहेगा, लेकिन साथ ही आयोग को आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को पहचान के रूप में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश भी दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुरूप है, लेकिन समय की दृष्टि से यह थोड़ी देर से आया हुआ निर्णय प्रतीत होता है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर 28 जुलाई को अगली सुनवाई तय की है।

आधार कार्ड पर बड़ी बहस

चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत को बताया कि आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र है, नागरिकता का प्रमाण नहीं। उन्होंने कहा कि आधार अधिनियम के अनुसार, आधार कार्ड से न तो नागरिकता साबित होती है और न ही निवास की स्थिति। दूसरी ओर, याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल और गोपाल शंकर नारायण ने तर्क दिया कि BLO (Booth Level Officer) को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता कि वह किसी व्यक्ति की नागरिकता तय करे।

कोर्ट की मौखिक टिप्पणी: “पहचान के लिए आधार, वोटर ID, राशन कार्ड पर विचार जरूरी”

कोर्ट ने टिप्पणी की कि पहली नजर में उसे लगता है कि न्याय हित में चुनाव आयोग को पहचान के लिए आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को भी स्वीकार करने पर विचार करना चाहिए। हालांकि, अंतिम निर्णय निर्वाचन आयोग के विवेक पर छोड़ दिया गया।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:

🗨 बीजेपी प्रवक्ता कुंतल कृष्ण

“सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि SIR प्रक्रिया जारी रहेगी। विपक्ष अब संवैधानिक संस्थाओं पर रोना धोना बंद करे और प्रक्रिया में सहयोग करे। यह फैसला संविधान का सम्मान है।”

🗨 याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव

“हमारी यह पहली जीत है। सुप्रीम कोर्ट अब इस प्रक्रिया की मॉनिटरिंग करेगा। हमने पहले ही कहा था कि यह प्रक्रिया ‘वोटबंदी’ है।”

🗨 मंत्री संतोष सुमन (बेटे जीतन राम मांझी)

“यह स्वागत योग्य निर्णय है। अब सुनिश्चित होगा कि किसी भी योग्य मतदाता का नाम न कटे और न ही किसी अवैध व्यक्ति का नाम जुड़े। विपक्ष ने केवल भ्रम फैलाने का काम किया।”

किशनगंज में ‘1.27 लाख’ आवेदन, उठा नया सवाल

राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने किशनगंज जिले में महज 6 दिनों में 1.27 लाख लोगों द्वारा आवासीय प्रमाण पत्र के लिए किए गए आवेदन को संदिग्ध बताते हुए कहा कि यह घुसपैठियों की मौजूदगी का संकेत है। उन्होंने इसे राज्य की सुरक्षा और मतदाता सूची की शुद्धता से जोड़ते हुए गहरी चिंता जताई।

आयोग का पक्ष: 60% से ज्यादा फॉर्म जमा

चुनाव आयोग की ओर से बताया गया कि 60 फीसदी से अधिक लोगों ने अब तक फॉर्म भर दिए हैं और बड़ी संख्या में फॉर्म अपलोड भी कर दिए गए हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि 11 दस्तावेजों की सूची केवल एक गाइडलाइन्स लिस्ट है, और अंतिम निर्णय विवेकाधीन रहेगा।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने फिलहाल चुनाव आयोग को राहत दी है, लेकिन साथ ही न्यायिक निगरानी की छाया में यह प्रक्रिया अब आगे बढ़ेगी। विपक्ष जहां इसे अपनी नैतिक जीत बता रहा है, वहीं सत्तापक्ष इसे संवैधानिक स्वीकृति का प्रमाण मान रहा है। आने वाले दिनों में 28 जुलाई की सुनवाई इस विवाद की अगली दिशा तय करेगी।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

Leave a Comment

लाइव क्रिकेट

संबंधि‍त ख़बरें

सोना चांदी की कीमत