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पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की सख्ती: सरकार को झटका, समय पर चुनाव कराने के आदेश

जयपुर, 19 अगस्त 2025:
राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव टालने के मामले में सोमवार को राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि संवैधानिक समय सीमा के बावजूद चुनाव न कराना “संविधान के उल्लंघन का प्रत्यक्ष उदाहरण” है।

संवैधानिक समय सीमा का पालन जरूरी

न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने महावीर प्रसाद गौतम और अन्य की 17 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव हर पांच साल में कराना अनिवार्य है। इसे अधिकतम छह माह तक ही टाला जा सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार समय पर चुनाव नहीं कराती है तो राज्य निर्वाचन आयोग का दायित्व है कि वह दखल देकर चुनाव सुनिश्चित करे।

चुनाव में देरी से स्थानीय शासन प्रभावित

कोर्ट ने कहा कि चुनाव न होने से स्थानीय शासन में रिक्तता आती है, जिससे जनता तक सेवाओं की प्रदायगी प्रभावित होती है। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि सरकार जल्द से जल्द चुनाव कराएगी।

निलंबित पंचायत प्रशासकों को बहाल किया

सरकार ने निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया था, लेकिन बिना उचित प्रक्रिया के उन्हें हटा दिया। कोर्ट ने इसे अवैध मानते हुए प्रशासकों को बहाल कर दिया और निर्देश दिया कि दो माह में याचिकाकर्ताओं की बात सुनने के बाद ही पुनः कार्रवाई की जाए।

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार ने दलील दी कि सरपंचों का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, इसलिए प्रशासक पद पर बने रहने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि कुछ मामलों में जांच लंबित है, ऐसे में याचिकाओं को खारिज किया जाए।

मुख्य सचिव और आयोग को भेजा आदेश

हाईकोर्ट ने इस आदेश की प्रति मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयोग को भेजते हुए मामले में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

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