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बारां में फिर टूटा स्कूल भवन, लैब रूम की छत और दीवारें गिरीं — बड़ा हादसा टला, लेकिन सवाल बरकरार

photo source patrika

बारां (राजस्थान)।
राजस्थान में स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। झालावाड़ जिले में स्कूल भवन गिरने की दर्दनाक घटना के कुछ ही दिन बाद बारां जिले में भी एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। सोमवार सुबह कोटा रोड स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के लैब कक्ष की छत और दीवार का हिस्सा भरभराकर गिर गया। गनीमत रही कि उस समय कक्ष खाली था और कोई हताहत नहीं हुआ।

घटना सुबह करीब 9:30 बजे की है जब अचानक प्रथम तल पर स्थित लैब रूम की छत की पट्टियां और दीवार का हिस्सा नीचे गिर पड़ा। बरसात के चलते विद्यालय के लैब प्रभारी उस समय कमरे में मौजूद नहीं थे, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। घटना के बाद स्कूल स्टाफ और शिक्षक दहशत में आ गए।

जर्जर भवन बना खतरा, प्रशासन बेपरवाह

इस विद्यालय का भवन वर्ष 1915 में बना था और कई हिस्सों में इसकी स्थिति बेहद जर्जर है। भवन का मुख्य हॉल बरसों से बंद पड़ा है, कई दीवारें ईंट-पिलर से टिकाई गई हैं और छतें बरसात में लगातार टपक रही हैं। बावजूद इसके, अभी तक इसकी मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। खास बात यह रही कि दो दिन पूर्व ही राजस्थान पत्रिका में इसी स्कूल की जर्जर स्थिति को लेकर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। लेकिन तब भी प्रशासन और शिक्षा विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

167 स्कूल भवन जर्जर, खतरे में हैं हजारों बच्चे

बारां जिले में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक कुल 1,230 विद्यालय संचालित हो रहे हैं। हालिया सर्वे में सामने आया है कि इनमें से 167 स्कूल भवन जर्जर और क्षतिग्रस्त स्थिति में हैं। शिक्षा विभाग ने 3 जून को जर्जर भवनों की रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें पहले 79 भवनों को चिन्हित किया गया था। लेकिन बरसात के बाद नए सर्वे में यह संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है।

अब तक नहीं भेजे गए प्रस्ताव

शिक्षा विभाग के सहायक अभियंता कृष्ण गोपाल पाण्डेय के अनुसार, 167 स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए करीब 38.35 करोड़ रुपये के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। लेकिन यह प्रस्ताव अब तक शासन को भिजवाए नहीं गए हैं। संभावना जताई जा रही है कि इन्हें शनिवार या सोमवार तक भेजा जाएगा।

सीख कब लेगा सिस्टम?

झालावाड़ हादसे में बच्चों की मौत के बाद प्रशासन और सरकार की ओर से घोषणाएं तो की गईं, लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार की गति धीमी है। बारां जैसी घटनाएं इस बात की गवाही देती हैं कि जर्जर स्कूल भवन किसी भी समय बच्चों की जान के लिए खतरा बन सकते हैं। जब तक विभाग समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक हर बरसात ऐसी ही नई खबर और हादसे की आशंका लेकर आती रहेगी।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

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