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वक्फ कानून का मामला: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लिया आडे हाथ, दी तीखी प्रतिक्रिया

वक्फ कानून को लेकर चल रही बहस अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा है और उसे 7 दिन का समय दिया गया है। इसी बीच झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक हलकों में नई बहस छिड़ गई है। दुबे ने कहा, “अगर कानून बनाना सुप्रीम कोर्ट का ही काम है, तो फिर संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। संविधान में संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है, और सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ कानून की व्याख्या करनी चाहिए।” उन्होंने आईटी एक्ट का उदाहरण देते हुए कहा, “हमने आईटी एक्ट बनाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खत्म कर दिया, जबकि उस कानून से सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों को फायदा मिल रहा था।”

सुप्रीम कोर्ट पर गंभीर आरोप

निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर आरोप लगाया कि वह अपनी सीमा से बाहर जाकर फैसले ले रहा है। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 141 यह कहता है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरे देश में लागू होता है, लेकिन कानून बनाने का अधिकार अनुच्छेद 368 के तहत संसद को ही है। सुप्रीम कोर्ट अगर हर मामले में फैसला देगा, तो विधायिका का क्या काम?” राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी मस्जिद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट के रुख पर सवाल उठाते हुए दुबे ने कहा, “हर बार कागज मांगे जाते हैं, लेकिन जब मुगलों के आने के बाद बनी मस्जिदों की बात आती है, तो कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाता। सुप्रीम कोर्ट ही इस देश में धार्मिक युद्ध भड़काने का कारण बन रहा है।”

उपराष्ट्रपति की भी मिली समर्थन

बीजेपी सांसद के बयान से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि, “भारत में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती जहां अदालत राष्ट्रपति को आदेश दे। संविधान का अनुच्छेद 142 अब न्यायपालिका के हाथ में लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल जैसा बन चुका है।”

विपक्ष की प्रतिक्रिया का इंतजार

हालांकि अब तक विपक्ष की ओर से इस मुद्दे पर कोई बड़ा बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसे लेकर संसद और मीडिया में तीखी बहस छिड़ सकती है। वक्फ कानून पर अदालत की सुनवाई और नेताओं की प्रतिक्रिया से साफ है कि यह मामला अब सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक और संवैधानिक बहस का केंद्र बन चुका है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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