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“बिहार के बाद कब होगी SIR? चुनाव आयोग ने बंगाल और बाकी राज्यों पर दिया बड़ा अपडेट”

*बिहार SIR विवाद के बाद अब पश्चिम बंगाल और देश के अन्य राज्यों में SIR (Special Intensive Revision) कब होगी, इसे लेकर उठ रहे सवालों पर चुनाव आयोग ने बड़ा बयान दिया है। रविवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग समान व्यवहार करता है और SIR का मकसद केवल मतदाता सूची को शुद्ध करना है।

बंगाल और अन्य राज्यों में कब होगी SIR?

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीईसी ने कहा कि “जहां तक पश्चिम बंगाल या अन्य राज्यों में SIR का सवाल है, हम तीनों चुनाव आयुक्त उचित समय देखकर इसका निर्णय लेंगे। सही समय पर इसकी तारीखों का ऐलान किया जाएगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि SIR कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं है, बल्कि यह मतदाता सूची को दुरुस्त करने की प्रक्रिया है, जिसकी मांग राजनीतिक दल पिछले दो दशकों से करते आ रहे हैं।

विपक्ष के आरोपों पर EC का पलटवार

विपक्ष के ‘वोट चोरी’ जैसे आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर किसी उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव परिणाम को चुनौती देनी है, तो संविधान के अनुसार 45 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करनी चाहिए। “भ्रामक शब्दों का इस्तेमाल जनता को गुमराह करने की कोशिश है और यह संविधान का अपमान है।”

मतदाता सूची से ‘ग़ैर-भारतीय’ होंगे बाहर

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि SIR की प्रक्रिया में उन लोगों की भी जांच होगी, जो भारत के नागरिक नहीं हैं लेकिन मतदाता सूची में नाम दर्ज करा चुके हैं। “ऐसे लोगों से जरूरी दस्तावेज मांगे गए हैं और 30 सितंबर तक सभी मामलों की गहन जांच की जाएगी। यदि कोई गैर-भारतीय पाया गया तो निश्चित तौर पर उसका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाएगा।”

क्यों ज़रूरी है SIR?

CEC ने बताया कि बीते 20 सालों से SIR नहीं हुआ था। इस बार बिहार से शुरुआत की गई क्योंकि वहां राजनीतिक दलों से बड़ी संख्या में शिकायतें मिली थीं। उन्होंने कहा कि “SIR का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है, ताकि केवल असली और पात्र मतदाता ही चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा बनें।” इस प्रक्रिया में लगभग 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) शामिल हैं, जो राजनीतिक दलों द्वारा नामित किए गए हैं। उनके सहयोग से बूथ स्तर पर एक मसौदा सूची तैयार की गई है, जिसे आगे फाइनल रूप दिया जाएगा।

निष्कर्ष:
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि SIR किसी भी राज्य में हो सकता है और सही समय पर इसकी तारीखें घोषित की जाएंगी। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए आयोग ने दोहराया कि यह पूरी प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाने के लिए की जा रही है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

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