विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने पिछले साल अक्टूबर से अब तक 2.94 लाख करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं, जबकि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, डॉलर में मजबूती और भारतीय बाजार के मूल्यांकन में बढ़ोतरी हुई है।
शेयर बाजार में गिरावट की बड़ी वजहें:
1. ट्रम्प टैरिफ अनिश्चितता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने टैरिफ कदमों से वैश्विक बाजारों को झकझोर दिया है। पारस्परिक टैरिफ की घोषणा ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। इस नीति से वैश्विक व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण बाधाएं पैदा हो सकती हैं और ट्रेड वॉर की संभावना भी बन सकती है।
2. मैक्रोइकॉनोमिक अनिश्चितता अप्रत्याशित मानसून और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। कमजोर विनिर्माण क्षेत्र और धीमी कॉर्पोरेट निवेश के चलते, चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली पिछले साल अक्टूबर से विदेशी निवेशकों ने 2.94 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें कम होने से विदेशी पूंजी का बहिर्वाह बढ़ा है, जिससे बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
4. खुदरा निवेशकों में घबराहट गिरावट ने छोटे निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने वाले खुदरा निवेशक अपने रिटर्न को लेकर चिंतित हैं। अगर वे घबरा कर बिकवाली करते हैं, तो बाजार में और गिरावट आ सकती है।
5. रुपये की कमजोरी भारतीय रुपये की कमजोरी ने भी निवेशकों को परेशान किया है। रुपये में सुधार नहीं होने पर विदेशी निवेशक बिकवाली जारी रख सकते हैं, जिससे बाजार में गिरावट जारी रह सकती है।
क्या लौटेगी बाजार में तेजी? विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार फिलहाल ओवरसोल्ड ज़ोन में है और रिकवरी की संभावना है, लेकिन किसी नए बुल रन की उम्मीद कम है। निवेशकों को सतर्कता बरतने और लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करने की सलाह दी जा रही है।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।