गुरुवार शाम (भारतीय समयानुसार शुक्रवार सुबह 5 बजे) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने भारत-चीन सीमा विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि अगर वह इस विवाद को सुलझाने में मदद कर सकते हैं, तो उन्हें खुशी होगी। अब भारत सरकार ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे दी है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि यह दो देशों के बीच का मामला है और भारत हमेशा द्विपक्षीय दृष्टिकोण को अपनाता आया है। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘हम अपने किसी भी पड़ोसी के साथ मुद्दों को द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही सुलझाना पसंद करेंगे।’
ट्रंप का प्रस्ताव
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने चीन से जुड़े एक सवाल पर कहा था, ‘मैं भारत और चीन के बीच सीमा पर झड़पों को देखता हूं। ये काफी क्रूर हैं। अगर मैं इन्हें रोकने में कुछ मदद कर सकता हूं, तो मुझे खुशी होगी।’
चीन पर ट्रंप की राय
ट्रंप से जब पूछा गया कि चीन को काउंटर करने के लिहाज से भारत-अमेरिका संबंधों को कैसे देखते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि चीन के साथ हमारे संबंध अच्छे रहेंगे। कोविड से पहले तक मेरे और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संबंध बहुत अच्छे थे। चीन एक अहम वैश्विक खिलाड़ी है और रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में भी मदद कर सकता है। मुझे उम्मीद है कि चीन, भारत, रूस और अमेरिका साथ मिलकर काम करेंगे।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘मेरे पहले कार्यकाल में परमाणु निरस्त्रीकरण पर शी जिनपिंग से बात हुई थी और उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक थी। हम 900 बिलियन डॉलर डिफेंस पर खर्च करते हैं, जबकि चीन 450 बिलियन डॉलर। क्यों न इस पैसे को अच्छे उद्देश्यों के लिए खर्च करें?’
भारत के स्पष्ट रुख से साफ है कि वह अपने मामलों में किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी नहीं चाहता और द्विपक्षीय वार्ता को ही प्राथमिकता देता है।
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