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‘नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है…’ राहुल गांधी पर सुधांशु त्रिवेदी का तंज, सेना पर टिप्पणी को बताया शर्मनाक

भारतीय राजनीति एक बार फिर बयानबाज़ी की गर्मी में तप रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हाल ही में भारतीय सेना पर की गई टिप्पणी के बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने तीखा पलटवार करते हुए राहुल पर व्यंग्य कसा। उन्होंने कहा, “नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है… लेकिन यहां तो गैर-मुल्ला ही सब कुछ खा गया।” यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

क्या था राहुल गांधी का बयान?

राहुल गांधी ने अपने एक भाषण में भारतीय सेना की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिन्हें बीजेपी ने सेना का ‘अपमान’ करार दिया। राहुल ने कथित रूप से ‘सरेंडर’ जैसे शब्द प्रयोग किए, जिसे बीजेपी ने देश के जवानों के मनोबल के खिलाफ बताया।

सुधांशु त्रिवेदी का तीखा पलटवार

बीजेपी प्रवक्ता त्रिवेदी ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा,

“राहुल गांधी की राजनीति आज भी अपरिपक्वता और भ्रम से भरी है। वो सेना जैसे संवेदनशील विषयों पर बोलते हुए न जिम्मेदारी दिखाते हैं, न जानकारी। ‘नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है’ एक कहावत है, लेकिन यहां तो मामला उल्टा हो गया है — ‘गैर-मुल्ला ही सब कुछ खा गया।’ कांग्रेस के नेतृत्व में जो नुकसान देश को हुआ, वो अब बयानबाजी से और गहरा हो रहा है।”

इस व्यंग्यात्मक कहावत के जरिए त्रिवेदी ने यह संकेत दिया कि राहुल गांधी अनुभव की कमी के साथ-साथ राजनीति में असंयमित व्यवहार कर रहे हैं, जो न केवल उनकी पार्टी बल्कि देश की गरिमा पर भी असर डाल सकता है।

सोशल मीडिया पर बंटे रिएक्शन

त्रिवेदी के बयान को लेकर सोशल मीडिया दो धड़ों में बंटा नजर आ रहा है। जहां बीजेपी समर्थकों ने इसे करारा जवाब बताया, वहीं कांग्रेस समर्थकों ने इस टिप्पणी को असंवेदनशील और मुद्दों से भटकाने वाला करार दिया।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया का इंतजार

कांग्रेस पार्टी ने अभी तक इस टिप्पणी पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी जल्द ही प्रेस वार्ता के ज़रिए अपना पक्ष रखेगी। पार्टी के अंदरूनी हलकों में यह चर्चा है कि बीजेपी राहुल गांधी के हर बयान को तोड़-मरोड़कर जनता के सामने रख रही है ताकि उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।

चुनावी मौसम में बयानबाज़ी तेज

2025 के अंत में होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र, राजनीतिक दलों के बीच बयानबाज़ी का दौर तेज हो गया है। सेना, सुरक्षा और राष्ट्रभक्ति जैसे मुद्दों पर उठते सवाल और पलटवार अब चुनावी रणनीतियों का हिस्सा बनते जा रहे हैं।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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