उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। इस घटना के आरोपियों पर कार्रवाई तेज कर दी गई है। जिला प्रशासन ने हिंसा में शामिल 21 उपद्रवियों की तस्वीरें और नाम सार्वजनिक कर दिए हैं। इन लोगों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों और चौराहों पर लगाए जाएंगे।
जामा मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा
रविवार सुबह जामा मस्जिद में सर्वे के लिए पहुंची टीम पर उपद्रवियों ने हमला कर दिया था। इस दौरान न केवल पुलिस पर पत्थरबाजी की गई, बल्कि अधिकारियों की गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने हिंसा के बाद उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
पोस्टर लगाकर दंगाइयों की पहचान सार्वजनिक
दंगा करने वाले 21 लोगों की तस्वीरें जारी करते हुए प्रशासन ने कहा है कि इनकी पहचान 16 से 72 वर्ष के आयु वर्ग में हुई है। इन तस्वीरों और नामों के पोस्टर चौराहों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे। इसके साथ ही, योगी सरकार द्वारा जारी पूर्व आदेश के तहत दंगाइयों से हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी।
वसूली की प्रक्रिया होगी सख्त
योगी सरकार ने हिंसा के मामलों में नुकसान की वसूली को लेकर पहले ही कड़ा रुख अपनाया है। इस नीति के तहत उपद्रवियों से सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई करवाई जाती है। संभल मामले में भी जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि नुकसान का मूल्यांकन कर इसकी वसूली दंगाइयों से की जाएगी।
अब तक 100 लोगों की पहचान, 27 गिरफ्तार
पुलिस ने हिंसा में शामिल 100 लोगों की पहचान की है। इनमें से 27 को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है और जल्द ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी भी होगी।
जांच में तेजी, मैजिस्ट्रियल जांच के आदेश
योगी सरकार ने घटना की गंभीरता को देखते हुए मामले की मैजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। इस दौरान पुलिस ने दंगाइयों की धरपकड़ के लिए कई टीमों का गठन किया है।
दंगाइयों के पोस्टर एक सख्त संदेश
दंगाइयों की तस्वीरों के सार्वजनिक प्रदर्शन का उद्देश्य समाज में एक सख्त संदेश देना है कि हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे।
संभल में हुई यह हिंसा न केवल कानून-व्यवस्था के लिए एक चुनौती थी, बल्कि इसने प्रशासन को कठोर कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया है। यूपी सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति के तहत ऐसी घटनाओं को रोकने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।