संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का फंड, तमिलनाडु में चक्रवात फेंगल से हुई तबाही, और उत्तर प्रदेश उपचुनाव जैसे मुद्दों पर सदस्यों ने अपनी बात रखी।
कल्याण बनर्जी ने मनरेगा फंड रोके जाने पर सरकार को घेरा
सांसद कल्याण बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के लिए मनरेगा फंड रोके जाने पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या बंगाली भाषा से नापसंदगी की वजह से बंगाल को पैसा नहीं दिया जा रहा?” उनके सवाल के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी योजना के फंड का दुरुपयोग नहीं होने देगी। इस बयान के बाद सदन में हलचल देखने को मिली।
टीआर बालू ने धन आवंटन में कटौती का मुद्दा उठाया
सांसद टीआर बालू ने आरोप लगाया कि मनरेगा के लिए धन आवंटन में हाल के वर्षों में भारी कमी की गई है। इस पर ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने सफाई देते हुए कहा कि एनडीए सरकार ने मनरेगा के तहत रिकॉर्ड धनराशि खर्च की है। उन्होंने महामारी के दौरान मामूली कटौती का हवाला दिया। विपक्ष ने उनके आंकड़ों का विरोध किया, जिससे सदन में शोरगुल हुआ।
तमिलनाडु में चक्रवात फेंगल पर केंद्र से सहायता की मांग
एमएम अब्दुल्ला और वाइको जैसे तमिलनाडु के नेताओं ने चक्रवात फेंगल से राज्य के जिलों में हुए व्यापक नुकसान का मुद्दा उठाया। वाइको ने केंद्र सरकार से तत्काल सर्वेक्षण कराकर राहत राशि प्रदान करने की मांग की।
उत्तर प्रदेश उपचुनावों पर रामगोपाल यादव का सवाल
सपा नेता प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनावों में लोगों को मतदान से रोके जाने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने उनका भाषण रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया।
नियम 267 के तहत नोटिस और राघव चड्ढा की निंदा
सभापति धनखड़ ने सदन को बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत 42 नोटिस प्राप्त हुए हैं। उन्होंने आप सांसद राघव चड्ढा द्वारा नोटिस को सार्वजनिक डोमेन में डालने की आलोचना की और इसे नियमों की अवहेलना करार दिया। उन्होंने कहा, “यह नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है, और इस पर नेताओं से चर्चा की जाएगी।”
संसद में उठे सवाल और प्रतिक्रियाएं
संसद के सत्र में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच कई मुद्दों पर तीखी बहस हुई। जहां मनरेगा फंड और चक्रवात फेंगल पर सरकार की भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए, वहीं उपचुनावों और नियम 267 के उल्लंघन जैसे मुद्दों ने चर्चा को और गरमा दिया। यह सत्र दिखाता है कि सरकार को जहां योजनाओं की पारदर्शिता पर जवाब देना होगा, वहीं विपक्ष को इन मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करनी होगी।