कानपुर: डिजिटल युग में ऑनलाइन सेवाओं ने जहां जीवन को सरल बनाया है, वहीं साइबर अपराधियों को ठगी के नए रास्ते भी दे दिए हैं। ऐसा ही एक मामला कानपुर के सर्वोदय नगर के नवशील मोती विहार में रहने वाले 75 वर्षीय सुरेश चंद्र शर्मा के साथ हुआ। अपने परपोते के लिए ऑनलाइन पैन कार्ड आवेदन करने की कोशिश के दौरान उन्हें 7.7 लाख रुपये की ठगी का शिकार होना पड़ा।
कैसे हुआ फ्रॉड?
शर्मा ने 10 नवंबर को पैन कार्ड आवेदन के लिए एक हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया। उस कॉल के दौरान जालसाजों ने आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के बहाने उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंकिंग विवरण मांगे। इसके तुरंत बाद दो फर्जी लेन-देन के जरिए उनके खाते से क्रमशः 1,40,071 और 6,30,071 रुपये निकाल लिए गए। ठगी का एहसास उन्हें तब हुआ जब बैंक से पैसे कटने का मैसेज आया।
साइबर अपराधियों के नए तरीके
साइबर ठग फर्जी हेल्पलाइन नंबरों के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। वे आधिकारिक पोर्टल की तरह दिखने वाली फर्जी वेबसाइटें बनाते हैं और भोले-भाले लोगों से उनकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी हासिल कर लेते हैं।
ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के उपाय
इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए निम्नलिखित सुझावों को अपनाना बेहद जरूरी है:
1. सत्यापित पोर्टल का उपयोग करें:
पैन कार्ड से जुड़ी सेवाओं के लिए केवल NSDL या UTIITSL जैसे सरकारी पोर्टल का उपयोग करें। किसी भी अनजान वेबसाइट पर भरोसा न करें।
2. संवेदनशील जानकारी साझा न करें:
आधार, पैन, बैंकिंग डिटेल्स या ओटीपी जैसी जानकारी किसी कॉल, मैसेज, या ईमेल पर साझा न करें।
3. फर्जी नंबरों से सावधान रहें:
ग्राहक सेवा नंबर की प्रामाणिकता की हमेशा जांच करें। गूगल पर सर्च किए गए हर नंबर पर भरोसा न करें।
4. संदेह होने पर शिकायत करें:
अगर आप किसी ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें या साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
निष्कर्ष
साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए सतर्क रहना ही सबसे बड़ा बचाव है। किसी भी ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान सावधानी बरतें और फर्जी वेबसाइटों व हेल्पलाइन नंबरों से बचें। डिजिटल सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है।