पटना, 13 दिसंबर 2024 शुक्रवार को आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं परीक्षा के बाद पटना के बापू सेंटर, कुम्हरार पर भारी हंगामा हुआ। नाराज परीक्षार्थियों ने परीक्षा में देरी और पेपर लीक के आरोप लगाते हुए जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान स्थिति इतनी बिगड़ गई कि जिला अधिकारी (DM) डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने एक प्रदर्शनकारी छात्र को थप्पड़ मार दिया।
परीक्षार्थियों का आरोप: पेपर देरी से और लीक होने का दावा
परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि प्रश्नपत्र 40 मिनट की देरी से दिए गए, जिससे उनकी परीक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कुछ छात्रों का कहना था कि उन्हें परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र समय पर मिले ही नहीं। परीक्षा समाप्त होने के बाद गुस्साए छात्रों ने बीपीएससी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
छात्र हिमांशु और प्रवीण कुमार ने दावा किया कि प्रश्नपत्र जिस सील पेटी में रखे गए थे, उसमें से कुछ पेपर फटे हुए मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रश्नपत्र दोपहर 12:30 बजे के बाद ही दिए गए, जिससे परीक्षा में काफी दिक्कत हुई।
DM ने खोया आपा, थप्पड़ मारने की घटना चर्चा में
हंगामे के बीच पटना के DM डॉ. चंद्रशेखर सिंह और SSP राजीव मिश्रा ने छात्रों को शांत करने की कोशिश की। लेकिन जब स्थिति बेकाबू हो गई और छात्र मानने को तैयार नहीं हुए, तो DM ने अपना आपा खो दिया और एक छात्र को थप्पड़ मार दिया। यह घटना वहां मौजूद अन्य छात्रों के बीच चर्चा का विषय बन गई।
परीक्षा केंद्रों की अव्यवस्थाओं पर सवाल
छात्रों ने BPSC के अधिकारियों से मिलने की मांग की, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। परीक्षार्थियों का कहना था कि परीक्षा केंद्रों पर व्यवस्थाएं बेहद खराब थीं। पेपर मिलने में देरी, अव्यवस्था, और प्रशासन की लापरवाही को लेकर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। इस साल BPSC 70वीं परीक्षा के लिए बिहार में 912 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। हालांकि, केंद्रों पर अव्यवस्था और देरी से जुड़ी घटनाओं ने परीक्षा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
BPSC और प्रशासन के खिलाफ विरोध जारी
परीक्षार्थियों ने मांग की है कि BPSC पेपर लीक और देरी के आरोपों की जांच करे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो। वहीं, DM द्वारा थप्पड़ मारने की घटना ने विवाद को और बढ़ा दिया है। छात्रों का कहना है कि प्रशासन को उनकी समस्याएं सुलझाने के बजाय उन पर शक्ति का प्रयोग करना गलत है। इस घटना ने परीक्षा प्रणाली और प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों और सामाजिक संगठनों ने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है।