नई दिल्ली, 23 दिसंबर – स्टार्टअप कंपनियों के टॉक्सिक वर्क कल्चर पर चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही। हाल ही में, एक कर्मचारी ने रेडिट पर अपनी कंपनी के अत्याचार और तनावपूर्ण माहौल के खिलाफ एक लंबी पोस्ट लिखकर इंटरनेट पर सनसनी फैला दी। गूगल मीट पर एक मीटिंग के दौरान फूट-फूटकर रोने वाले इस कर्मचारी की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है।
15 घंटे काम, फिर भी अपमान
रेडिट के r/developersIndia ग्रुप में पोस्ट किए गए इस अनुभव में, कर्मचारी ने बताया कि वह एक फ्रंट-एंड डेवलपर के तौर पर स्टार्टअप कंपनी में दो महीने पहले शामिल हुआ था। तीन फाउंडर्स वाली इस कंपनी में वर्क कल्चर इतना तनावपूर्ण था कि वह मानसिक रूप से टूट गया।
उन्होंने लिखा, “हम रोज़ाना 12 घंटे से अधिक काम करते थे, और कई बार यह समय 15 घंटे तक बढ़ जाता था। इसके बावजूद, हमें कभी कोई सराहना नहीं मिली। इसके विपरीत, हमें अपमानित किया जाता और गालियां दी जातीं।”
कंपनी में काम की ट्रेनिंग का अभाव
कर्मचारी ने यह भी शिकायत की कि उसे न तो पर्याप्त ट्रेनिंग दी गई और न ही स्पष्ट निर्देश। पोस्ट में लिखा था, “मैं किसी समस्या को हल करने की कोशिश में 2-3 घंटे बर्बाद करता, लेकिन जब कोई समाधान न मिलता, तब भी मुझे अपमानित किया जाता।”
मीटिंग के दौरान रो पड़ा कर्मचारी
अपने अनुभव साझा करते हुए, कर्मचारी ने बताया कि एक दिन गूगल मीट की मीटिंग के दौरान, जब एक फाउंडर ने उसे भला-बुरा कहा, तो वह अपने आंसू रोक नहीं पाया। उसने तुरंत मीटिंग से छुट्टी ले ली और कहा कि वह अब मानसिक रूप से काम करने की स्थिति में नहीं है।
“इतने मेहनत के बावजूद, अगर आपको सिर्फ अपमान और गालियां मिलें, तो यह दिल तोड़ने वाला होता है,” उसने लिखा।
रेडिट पर मिला समर्थन
पोस्ट के वायरल होने के बाद, सोशल मीडिया पर लोगों ने कर्मचारी को सपोर्ट किया। एक यूजर ने लिखा, “तुम्हें रोने की जरूरत नहीं है। अगर फाउंडर तुमसे बदतमीजी करते हैं, तो उन्हें उसी लहजे में जवाब दो।” एक अन्य यूजर ने सलाह दी कि अगर हालात सुधारने का कोई रास्ता न दिखे, तो नौकरी छोड़कर बेहतर जगह तलाशें।
स्टार्टअप्स और टॉक्सिक कल्चर पर बहस
यह घटना स्टार्टअप्स में बढ़ती टॉक्सिक वर्क कल्चर की समस्या को उजागर करती है। लंबे काम के घंटे, कम संसाधन, और कर्मचारियों का मानसिक उत्पीड़न आम समस्याएं बनती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्टार्टअप्स को अपने कर्मचारियों के लिए सकारात्मक और सहयोगात्मक माहौल बनाना चाहिए, ताकि वे बेहतर प्रदर्शन कर सकें और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। इस घटना ने एक बार फिर इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि कैसे टॉक्सिक वर्क कल्चर कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। सोशल मीडिया पर समर्थन मिलने के बाद, उम्मीद है कि यह कर्मचारी जल्द ही एक बेहतर समाधान की ओर बढ़ेगा।