ज्योतिष महाकुंभ में पहुंचे 150 से अधिक विद्वान, 3000 से अधिक बूंदी की जनता ने लिया निशुल्क परामर्श

 

बूंदी(शिव कुमार शर्मा)

बूंदी 19 जनवरी।
श्री साकेत पंचांग बूंदी द्वारा आयोजित ज्योतिष महाकुम्भ के मीडिया प्रभारी पुरूषोतम पारीक ने बताया कि इस महाकुंभ में पहुंचे 150 से अधिक विद्वान, 3000 से अधिक बूंदी की जनता ने लिया निशुल्क परामर्श ,की सीमा से सत्ता तक की भविष्यवाणी
सम्मेलन में विश्व परिपेक्ष में भारत की भूमिका ग्रह नक्षत्र के अनुसार आधारित विषय पर चर्चा हुई। ज्योतिष आचार्य और विद्वानो ने अपने अपने व्याख्यान दिए ।
श्री साकेत पंचांग बूंदी के तत्वाधान में छोटी काशी ज्योतिष महाकुम्भ का आयोजन के मुख्य अतिथि समाज सेवी भरत शर्मा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन बूंदी में आगे भी होते रहेंगे । ‘विश्व परिपेक्ष में भारत की भूमिका ग्रह नक्षत्र के अनुसार’ आधारित विषय पर ज्योतिषाचार्य, आचार्य और विद्वानों ने अपने-अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। आचार्य बद्रीनारायण शास्त्री और पंडित भागीरथ जोशी ने इस आयोजन की प्रशंसा की। वहीं, आयोजक जगदीश प्रसाद शर्मा ने कहा कि ज्योतिष को समझने और इसे आत्मसात करने के लिए ब्रह्मज्ञानी बनना पड़ेगा।
अपरा काशी से पधारे मनोज कुमार गुप्ता ने शायरी की लाइन ‘न पीने का सलीका है और न पिलाने का शऊर, ऐसे लोग भी चले आए हैं मयखाने में’ लाइन को दोहराते हुए कहा कि ज्योतिष को हास्यास्पद बनाने वाले बहुत लोग बाजार में आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह विधा दुकान चलाने के लिए नहीं, कल्याण के लिए है। जन्म से लेकर अवसान तक की समस्त जानकारी ज्योतिष में समाहित है।
ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने कहा कि ज्योतिष के जरिए मार्केटिंग करने वालों को यह सीखना होगा कि इसका उद्देश्य क्या है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष साधक के लिए साधना है, लेकिन वर्तमान में इसका स्वरूप और इसके उद्देश्य का परिहास किया जा रहा है। पंडित दीनदयाल शास्त्री के अनुसार कंप्यूटर पर लगन और चार्ट बनाने को उन्होंने ज्योतिष से परे बताया और कहा कि वर्तमान में किसी भी राष्ट्र का भाग्य विदेशी एजेंसियां बना रही हैं। ज्योतिष की कल्पना को पागलपन बताने वालों को भी जगद्गुरु ने अपने संबोधन में लताड़ लगाई। उन्होंने कहा कि ज्योतिष का ज्ञान पराज्ञान है जो कि ब्रह्मज्ञानी ही कर सकता है। अवगुण, दुर्गुण और व्यसन के साथ ज्योतिष का समन्वय नहीं हो सकता है।
संसार का आत्मचिंतन और दर्शन ज्योतिष से ही संभव : जगदीश प्रसाद शर्मा
श्री साकेत पंचांग के संपादक जगदीश प्रसाद शर्मा ने कहा कि ज्योतिष आत्मचिंतन का माध्यम है। उन्होंने कहा कि इस विधा के जरिए दर्शन भी संभव है। उन्होंने कहा कि नवग्रह और 27 नक्षत्र सभी रेखांश और अक्षांश पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि हम आज भी 12 बजे के बाद दूसरे दिन की गणना नहीं करते। सूर्याेदय से सूर्योदय के बीच हम दिन में परिवर्तन मानते हैं। उन्होंने कहा कि जिस जातक का जन्म होता है, उसे ही गणना के आधार पर ज्योतिष के माध्यम से भविष्य रचना की जानकारी की जाती है। उन्होंने कहा कि पुरातन काल से ही ज्योतिष की तीन विधा का प्रयोग होता आ रहा है। रमल ज्योतिष के माध्यम से फलादेश, अनुष्ठान आदि की जानकारी चक्र गणना के माध्यम से की जाती है। इसी तरह विकृति ज्योतिष और कृति ज्योतिष के ज्ञाता भी आज देश में बहुत हैं।ग्रहों की चाल और काल की गणना से ही तय होता है –
दीनदयाल शास्त्री ने कहा कि ज्योतिष विज्ञान है। इसके माध्यम से जातक के 12 घरों में 12 राशियों की ग्रहाें की चाल और काल की गणना की जाती है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष ऐसी विधा है कि इसके जरिए किसी जातक के भविष्य को बताया जाता है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की आंधी में आज हर कोई ज्योतिषाचार्य बन रहा है, लेकिन वास्तव में देश की इस प्राचीन विधा को सीखने के लिए संस्थानों में जाना होगा। वास्तविक ज्योतिषी ही किसी जातक के बारे में सही जानकारी दे सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रह की चाल और काल की गणना ने कई बार देश के भविष्य को बताया है और इसके आधार पर ही राष्ट्र की रक्षा हो सकी है। इस विधा को अधिक से अधिक लोगों को सीखना होगा।
ज्योतिषविदों को
कार्यक्रम अध्यक्ष श्री साकेत पंचांग के संपादक जगदीश प्रसाद शर्मा द्वारा, ज्योतिष सम्मेलन में शामिल होने आए देश-विदेश के ज्योतिषाचार्यों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने अपने जीवन के कई संस्मरण जो ज्योतिष से जुड़े हैं, उसे भी सभी के समक्ष रखा। सम्मानित होने वालों में पंडित दीनदयाल शास्त्री याज्ञिक सम्राट, सम्मेलन के संयोजक रमेश गुरु, आचार्य मनोज कुमार गुप्ता , अभिषेक गौतम , गिरधर गौतम आदि शामिल रहे।

 

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